कॉल टू एक्शन: अभिभावक या भक्षक, जब वकील समाज की हिस्सेदारी पर प्रश्नचिन्ह बने

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कानून की ड्रेसिंग पहनकर जो लोगों का शोषण करें, वे समाज के लिए कलंक हैं
ऐसे मामलों की परत दर परत जांच और बार परिषद/न्यायिक सुनवाई जरूरी

शरद कटियार
समाज की सबसे बड़ी संपत्ति उसकी सजगता और सतर्कता है। जब 70 फ़ीसदी लोग भोले -भाले बने रहें और केवल कुछ ही संवेदनशील नागरिक सवाल उठाएं, तब पैर जमाने वाली अनैतिकता बढ़ती है। विशेषकर उन पेशों में—जिन पर लोकतंत्र और न्याय की चाभी रखी जाती है—यदि कोई व्यक्ति अपनी पदवी का दुरुपयोग कर किसी की आस्था, संपत्ति या सम्मान पर हमला करता है, तो वह केवल एक दोषी नहीं; वह समाज के विश्वास का कुल्हाड़ा है।
वकील का पेशा न्याय की रक्षा करने के लिए होता है, न कि कमजोरों को घेर कर उन्हें ठगने, उत्पीड़ित करने या भयित करने के लिए। या फिर किसी अपराधी वकील का किसी जिम्मेदार पद पर बैठे वकील द्वारा संरक्षण करना,जब किसी वकील-पेशेवर के प्रति ऐसी शिकायतें सामने आती हैं — चाहे वे व्यक्तिगत अनुभव हों या सामूहिक आरोप — उनका जवाब हाई-प्रोफेशनलिज्म और पारदर्शिता से देना चाहिए। समाज में यदि यह आभास बन जाए कि वकील अपनी औकात से अधिक उपयोग कर न्याय व्यवस्था का फायदा उठाते हैं, तो उससे आम आदमी का न्याय पर से विश्वास हिलता है।
हमारा प्रस्ताव स्पष्ट है: आरोप चाहे किसी भी मंच पर उठे — उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। बार काउंसिल, पुलिस और न्यायिक संस्थाओं को मिलकर त्वरित, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करानी चाहिए। यदि कोई पेशेवर दोषी पाया जाता है तो अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई के साथ उसे पेशेवर बैन या अन्य कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही पीड़ितों को संरक्षण और कानूनी सहायता मुहैया कराना भी राज्य-संविधानिक कर्तव्य है।
हम समाज के कुल मिलाकर पूछने का अधिकार दोहराते हैं: क्या हम बातों को सहते रहेंगे या आवाज उठाने वालों के साथ खड़े होंगे? कलम से सफाया का अर्थ हिंसा नहीं, बल्कि सामाजिक विमर्श, शोध-आधारित रिपोर्टिंग, और कानून के दायरे में रहकर जवाबदेही माँगना है। यूथ-इंडिया यही आग्रह करता है कि नागरिकों के आरोपों की निष्पक्ष जाँच हो, दोषियों के प्रति कड़ी कार्रवाई हो और ऐसी घटनाओं से बचने के लिए पेशेवर मानकों की पुनःपुष्टि की जाए — ताकि न्याय का आश्वासन फिर से हर किसी के लिए सुनिश्चित हो सके।
कॉल-टु-एक्शन के तहत पीड़ित/प्रत्यक्षदर्शियों को अपनी शिकायतें लिखित रूप में दर्ज कर प्रशासन और बार काउंसिल को सौंपनी चाहिए।स्थानीय संगठनों/पत्रकारों को मिलकर मामले की तफ्तीश कर सार्वजनिक रखें।बार काउंसिल और पुलिस से त्वरित जांच व परिणाम सार्वजनिक करने की मांग करें।
समाज में किसी भी पेशेवर का पद अगर जनता के साथ विश्वासघात करे तो वह खुद समाज के लिए कलंक बन जाता है। जो वकील न्याय की आड़ में लोगों का शोषण करते हैं — उनके खिलाफ पारदर्शी जांच और कड़ी कार्रवाई जरूरी है। यूथ-इंडिया मांग करता है: निष्पक्ष जाँच, पीड़ितों को सुरक्षा और दोषियों के लिए सख्त कार्रवाई।

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