– सरकारी ग्रांट हड़पने की जुगत; चार-पांच फर्म संचालक तैयार, शासन-प्रशासन की पैनी नजर — ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत रडार पर माफिया अनुपम दुबे गिरोह
फर्रुखाबाद: मोहम्मदाबाद ब्लॉक प्रमुख (Mohammadabad block chief) की वह सीट, जिस पर लंबे समय सेप्रमुख के जेल जाने के ब्लॉक प्रमुख के जेल जाने के नेताओं की मिलीभगत और राजनीतिक रहमों-करम के चलते चुनाव नहीं कराया गया था, और कुर्सी सुरक्षित रखी गई थी। जमानत पर रिहा हुए प्रमुख बब्बन ने तीन दिन पूर्व फिर से कुर्सी संभाली है, अब एक बार फिर माफिया (mafia) राज की गिरफ्त में नजर आ रही है। जेल से रिहा होने के बाद चर्चित माफिया अनुपम दुबे के छोटे भाई अमित दुबे उर्फ बब्बन ने रणनीतिक तरीके से इस सीट पर दोबारा कब्जा जमा लिया है। सूत्रों के अनुसार, सरकारी ग्रांट और विकास निधियों को डकारने की तैयारी तेज कर दी गई है, हालांकि स्थानीय ठेकेदारों में डर का माहौल है।
बताया जा रहा है कि पहले तो किसी ने बब्बन की योजना में हाथ डालने की हिम्मत नहीं दिखाई, लेकिन अब चार-पांच फर्म संचालक अपने कागजात देने के लिए तैयार हो गए हैं ताकि नाम भर के ठेके निकालकर सरकारी धन की बंदरबांट हो सके। उधर, शासन-प्रशासन पहले ही इन फर्मों और उनके संचालकों की निगरानी में जुट गया है, क्योंकि माना जा रहा है कि इनका सीधा संबंध अनुपम दुबे गिरोह से है।
प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “जीरो टॉलरेंस नीति” के तहत अनुपम दुबे, अमित दुबे (बब्बन) और उनके भाई डब्बन पहले से ही निगरानी सूची में हैं। इनका आपराधिक इतिहास बेहद संगीन है और प्रशासन इन्हें खूंखार अपराधी के रूप में चिह्नित कर चुका है। पूर्व में भी इनसे जुड़े कई करीबी ठेकेदारों और सहयोगियों पर कड़ी कार्रवाई की जा चुकी है — कुछ के लाइसेंस रद्द हुए, तो कुछ के ठेके निरस्त कर दिए गए थे।
स्थानीय लोगों में इस बात की चर्चा है कि मोहम्मदाबाद ब्लॉक में अब फिर से वही पुरानी सियासी-आपराधिक गठजोड़ की पुनरावृत्ति हो रही है, जिसने वर्षों तक विकास योजनाओं को भ्रष्टाचार की दलदल में धकेला था।
जानकारों का कहना है कि अगर शासन ने तत्काल कड़ी कार्रवाई नहीं की, तो ब्लॉक की करोड़ों की योजनाएं फिर से फर्जी फर्मों और ठेकेदारों के हवाले चली जाएंगी। इस बीच प्रशासन की टीमें सक्रिय हो गई हैं और गुप्त रूप से दागी फर्मों की जांच शुरू कर दी गई है। स्थानीय सूत्रों का दावा है कि ब्लॉक के कुछ अफसरों और कर्मचारियों पर भी माफिया गिरोह का दबाव है, जो फर्जी फाइलों पर हस्ताक्षर कराने की कोशिश कर रहे हैं।
जनपद में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या मोहम्मदाबाद की यह सीट एक बार फिर “विकास के नाम पर लूट का केंद्र” बनने जा रही है, या मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत जल्द कोई बड़ी कार्रवाई देखने को मिलेगी।


