फर्रुखाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में सफाई व्यवस्था को मजबूत करने और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से योगी सरकार ने हर ग्राम पंचायत में एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र की स्थापना कराई थी। इस योजना पर सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर ग्रामीण विकास की तस्वीर बदलने का दावा किया था।लेकिन सरकारी मंशा और जमीनी हकीकत में भारी अंतर साफ झलक रहा है। विकासखंड कमालगंज की ग्राम पंचायत करीमगंज में जो ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र ग्रामीणों के कूड़े और अपशिष्ट निस्तारण के लिए बनाया गया था, वह अब बकरा पालन केंद्र में तब्दील हो गया है। केंद्र के अंदर कूड़े की जगह अब बकरों का झुंड बंधा नजर आ रहा है। यह दृश्य देखकर ग्रामीण भी हैरान हैं कि जिस जगह पर कचरा अलग करने और खाद बनाने की प्रक्रिया चलनी चाहिए थी, वहां अब पशुपालन हो रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि केंद्र का निर्माण लाखों रुपये की लागत से हुआ था, लेकिन कुछ समय बाद ही यह उपेक्षा का शिकार बन गया। न तो यहां सफाई कर्मियों की तैनाती हुई और न ही कोई मॉनिटरिंग। नतीजा यह हुआ कि स्थानीय लोगों ने केंद्र को अपने निजी उपयोग में लेना शुरू कर दिया।जब इस पूरे मामले में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) विनय चौहान से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि यह पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा, सरकार ने यह केंद्र स्वच्छता के लिए बनवाया था, न कि किसी निजी उपयोग के लिए। संबंधित व्यक्ति को तुरंत नोटिस जारी किया जाएगा और केंद्र को जल्द खाली कराया जाएगा।
अधिकारियों की इस कार्रवाई के भरोसे के बावजूद ग्रामीणों में नाराजगी है। उनका कहना है कि योजनाओं में सरकारी धन पानी की तरह बहाया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर निगरानी न होने से योजनाएं सिर्फ कागजों में ही चल रही हैं।ग्रामीणों ने मांग की है कि इस प्रकरण की जांच कर जिम्मेदार पर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी सरकारी संपत्ति का निजी उपयोग करने की हिम्मत न कर सके।






