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Saturday, November 1, 2025

एल.सी. सिंह की किताब ‘द कोलैप्स ऑफ़ इल्यूज़न्स’ हुई लॉन्च

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नई दिल्ली: जाने-माने टेक्नोलॉजिस्ट, कॉर्पोरेट लीडर और कहानियाँ बयां करने में माहिर, एल.सी. सिंह (L.C. Singh) ने इंडिया हैबिटेट सेंटर में अपनी पहली किताब, “द कोलैप्स ऑफ़ इल्यूज़न्स” (The Collapse of Illusions) लॉन्च की। दिशानेक्स्ट द्वारा प्रकाशित यह किताब एमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और देश भर के सभी चुनिंदा बुकस्टोर्स पर उपलब्ध है। इस आयोजन में कला, शिक्षा और व्यवसाय जगत की उन जानी-मानी हस्तियों ने भाग लिया, जो विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाने वाले एल. सी. सिंह के सफ़र में उनके सहयोगी रहे हैं।

‘द कोलैप्स ऑफ़ इल्यूज़न्स’ की शुरुआत में ही यह बताया गया है कि जीवन की पहली लौ कैसे जगी, कैसे उसने खुद को कई गुना बढ़ाया, पहचान बनाई और फिर जीवन के मायने बनाए रखने के लिए ईश्वर, समय और अहम् जैसे विचारों का निर्माण किया। बेहद खूबसूरत कहानी की तरह लिखी गई और अनमोल दार्शनिक विचारों से भरी यह किताब हमें इकोटाइम से अवगत कराती है — यह इंसानी जज़्बातों की ऐसी घड़ी है, जो बताती है कि दिल टूटने का एहसास एक दशक से भी ज़्यादा लंबा क्यों लग सकता है, और सुकून भरी जादू की झप्पी एक पल की तरह क्यों महसूस होती है।

यह किताब बताती है कि, किस तरह तनाव से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया तेज़ होती है और प्यार कैसे उसमें सुधार लाता है। यह किताब जवाब देने की कोशिश नहीं करती। इसके बजाय, यह उन सभी चीज़ों को आईना दिखाती है जिन्हें हम सच मानते थे, और उसे गहराई से सोच-विचार एवं जिज्ञासा के ज़रिए वास्तविकता को हमारे सामने लाती है।

यह किताब पचास सालों के अध्ययन और चिंतन पर आधारित है। यह ज़िंदगी के वजूद, सिस्टम्स थीअरी, विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में एल.सी. सिंह के लंबे समय तक अध्ययन से प्रेरित है। यह किताब अचानक मिले ज्ञान के बाद नहीं लिखी गई है, बल्कि यह इस बात पर किए गए सालों के गहरे अध्ययन पर आधारित है कि हम कौन हैं, हमारा वजूद क्यों जरूरी है और हमारी पसंद तथा नापसंद के पीछे की वजह क्या है। एक टेक्नोलॉजिस्ट, फोटोग्राफर और लेखक होने के साथ-साथ फिल्म ‘बनारस: ए मिस्टिक लव स्टोरी’ (2006) के निर्देशक एवं निर्माता के रूप में, उनके सफर का दायरा दूरदराज के गाँवों से लेकर दुनिया भर के बोर्डरूम तक, हार्वर्ड से बनारस तक, और विज्ञान से मौन तक विस्तृत है। वे जीवन भर ज्ञान और अस्तित्व के सिद्धांत का अध्ययन करते रहे हैं।

द कोलैप्स ऑफ़ इल्यूज़न्स के लेखक, एल.सी. सिंह कहते हैं, “टेक्नोलॉजी और कामयाबी से हटकर, हमारी असल पहचान तो हमारे जज़्बात ही हैं। ये जज़्बात ही हमारे फैसलों को राह दिखाते हैं, हमारे भीतर हमदर्दी का भाव जगाते हैं और हमें इंसान बनाते हैं। यह किताब हमें बस यही समझाती है।”

यह विज्ञप्ति लॉन्च के बाद जारी की गई है, जब इस किताब को दुनिया भर के लोगों से पहले ही काफ़ी तारीफ़ मिल चुकी है। बफ़ेलो यूनिवर्सिटी, SUNY के अध्यक्ष, डॉ. सतीश के. त्रिपाठी कहते हैं, “एल.सी. सिंह की ‘द कोलैप्स ऑफ़ इल्यूज़न्स’ सच में अपने ज्ञान की चमक बिखेरने वाली किताब है, जो मेटाफिजिक्स, फिलॉसफी, विज्ञान और वेदान्तिक ज्ञान को बड़ी खूबसूरती से एक धागे में पिरोकर जीवन के सबसे मुश्किल सवालों को आसानी से समझाती है। यह किताब पढ़ने वालों को हिम्मत के साथ जीवन के उन गूढ़ रहस्यों को जानने का अवसर देती है, जो भले ही कभी-कभी उलझे हुए हों, पर सदा ज्ञान देने वाले होते हैं।”

के. वी. श्रीधर (पॉप्स), चीफ़ क्रिएटिव ऑफिसर एवं ग्लोबल ब्रांड लीडर, कहते हैं, “गहरी सोच वाली, कविताओं जैसी सुंदर, और विज्ञान की समझ से भरी होने के बावजूद यह किताब बेहद सरल — सचमुच लाजवाब है।” ICANN के उपाध्यक्ष और सिडनी ओलंपिक स्टेडियम के पूर्व सीईओ, क्रिस चैपमैन लिखते हैं, “जब विश्वास फीका पड़ जाए, तो क्या बाकी रह जाता है? मैं हर दूसरे दिन खुद से बस यही पूछता हूँ। एल.सी. सिंह की किताब विज्ञान और दर्शन को एक साथ मिलाकर और समझने में आसान तरीके से यही बुनियादी सवाल पूछती है। यह किताब सबसे अलग है, जिसकी गहरी बातों ने मेरी चिंताओं को कम करने में मदद की।”

लोकप्रिय लेखक, निर्देशक एवं निर्माता, पंकज शुक्ला लिखते हैं, “यह किताब संगीत के मूल में बसे उस राग को छेड़ती है, जिसे हम जीवन कहते हैं।” द कोलैप्स ऑफ़ इल्यूज़न्स उन लोगों के लिए है जिन्हें जवाब पाने की जल्दी नहीं है, बल्कि वे सवालों पर तसल्ली से विचार करना पसंद करते हैं। यह किताब उन लोगों के लिए है जो अपने वजूद को समझना चाहते हैं, विचारपूर्वक पढ़ते हैं और इस बारे में जानने के इच्छुक हैं कि नामों और हमारे मन में बसी धारणा के पीछे क्या रहस्य छिपा है। एल.सी. सिंह पाठकों के साथ आगे जो विचार साझा करने वाले हैं, यह उसी श्रृंखला की पहली कड़ी है। अकादमिक, रचनात्मक और डिजिटल माध्यमों से इस किताब का प्रचार आगे भी जारी रहेगा और आने वाले समय में इसके मूल विचारों पर बातचीत के लिए चर्चाएँ आयोजित की जाएँगी।

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