साइबर ठगों ने रिटायर्ड इंजीनियर को 17 दिन तक रखा ‘डिजिटल अरेस्ट’ में, 38.42 लाख रुपये हड़पे

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लखनऊ। राजधानी के कुर्सी रोड स्थित जानकीपुरम गार्डन निवासी सेवानिवृत्त इंजीनियर अश्वनी कुमार गुप्ता साइबर ठगों के शिकार हो गए। जालसाजों ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच और डीजीपी चेन्नई कार्यालय का अधिकारी बताकर उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी और 17 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर 38.42 लाख रुपये हड़प लिए। पीड़ित ने साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस अब आरोपियों के बैंक खातों की जांच कर रही है।

पीड़ित अश्वनी कुमार गुप्ता ने बताया कि 30 सितंबर को उनके पास एक अनजान नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने कहा कि उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग हुआ है और मामला मुंबई क्राइम ब्रांच को भेजा जा रहा है। कुछ देर बाद दूसरा कॉल आया, जिसमें कहा गया कि केस डीजीपी चेन्नई को ट्रांसफर हो गया है। ठगों ने उन्हें बताया कि उन पर हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है और जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है।

डर के माहौल में ठगों ने अश्वनी को निर्देश दिया कि वे जांच पूरी होने तक किसी से बात न करें। झांसा देने के लिए वाट्सएप पर नकली दस्तावेज भेजे गए और खाते की पूरी रकम ट्रांसफर करने को कहा गया।

धमकियों से सहमे अश्वनी 14 अक्तूबर को बैंक गए और जालसाजों के बताए खातों में 24 लाख 70 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। दो दिन बाद 16 अक्तूबर को ठगों ने फिर कॉल कर और रुपये भेजने का दबाव बनाया। जब उन्होंने बताया कि अब उनके पास पैसे नहीं हैं तो ठगों ने बेटे को जेल भेजने की धमकी दी। भय के कारण अश्वनी ने एसबीआई से 14 लाख रुपये का पेंशन लोन लिया और उसमें से 13 लाख 72 हजार रुपये जालसाजों के बताए खाते में जमा कर दिए।

बार-बार रुपये मांगने पर अश्वनी को शक हुआ। जब उन्होंने परिजनों को बताया तो ठगी की पूरी बात सामने आई। इसके बाद उन्होंने साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। इंस्पेक्टर ब्रजेश कुमार यादव के अनुसार अज्ञात साइबर अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और ठगी की रकम को फ्रीज कराने की प्रक्रिया चल रही है।

साइबर ठगी से बचाव के उपाय

अगर किसी अनजान नंबर से कॉल आए और वह खुद को सरकारी अधिकारी, पुलिस या बैंक अधिकारी बताकर जांच या केस की बात करे तो तुरंत फोन काटें। किसी भी परिस्थिति में बैंक डिटेल या ओटीपी साझा न करें। ऐसी स्थिति में तुरंत 1930 नंबर पर कॉल कर शिकायत करें या वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट दर्ज कराएं।

राजधानी में पहले भी बड़े मामले

इंदिरानगर की प्रोफेसर प्रमिला मानसिंह से 78.50 लाख, एसजीपीजीआई की डॉ. रुचिका टंडन से 2.81 करोड़, डॉक्टर पंकज रस्तोगी की पत्नी दीपा से 2.71 करोड़ और रिटायर्ड कर्मचारी कमल कांत मिश्रा से 17.50 लाख रुपये की ठगी हो चुकी है।

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