शरद कटियार
गाजियाबाद में 1200 बेड वाले अत्याधुनिक यशोदा मेडिसिटी (Yashoda Medicity) का उद्घाटन केवल एक स्वास्थ्य संस्थान (health institute) की शुरुआत नहीं है, बल्कि यह भारत की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था में एक नए युग की नींव है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में यह आयोजन उस सोच का प्रतीक है, जिसमें “स्वस्थ नागरिक ही सशक्त राष्ट्र” की अवधारणा को व्यवहारिक रूप दिया जा रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन में यह स्पष्ट संदेश था कि भारत की प्रगति केवल आर्थिक संकेतकों से नहीं मापी जाएगी, बल्कि इस बात से भी आंकी जाएगी कि देश के 140 करोड़ नागरिकों को स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधा कितनी सुलभ और गुणवत्तापूर्ण रूप में मिल पा रही है। उन्होंने ठीक ही कहा कि सरकार और समाज — दोनों की साझा जिम्मेदारी है कि कोई भी नागरिक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे।
देश में बीते कुछ वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र में जिस प्रकार का निवेश और संरचनात्मक सुधार हुआ है, वह अभूतपूर्व है। टीबी उन्मूलन, सिकिल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों पर केन्द्रित योजनाएं भारत को न केवल आत्मनिर्भर बना रही हैं बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति एक संवेदनशील राष्ट्र की छवि को भी मजबूत कर रही हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के शब्द इस उद्घाटन को केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं रखते, बल्कि इसे राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा बनाते हैं। उनका यह कथन कि “हम ऐसे स्वस्थ और शक्तिशाली भारत की दिशा में अग्रसर हैं, जिसका सपना हमारे पूर्वजों ने देखा था” इस विचार को पुष्ट करता है कि स्वास्थ्य सेवा केवल अस्पतालों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की नींव है।
दक्षिण एशिया में रोबोटिक सर्जरी के प्रमुख केंद्र के रूप में यशोदा मेडिसिटी की पहचान भारत की चिकित्सा तकनीक में आत्मनिर्भरता और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा की क्षमता को रेखांकित करती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वक्तव्य उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की गाथा प्रस्तुत करता है।
पिछले साढ़े आठ वर्षों में 42 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और गोरखपुर व रायबरेली में एम्स के संचालन से यह स्पष्ट होता है कि राज्य ने स्वास्थ्य संरचना में एक ऐतिहासिक छलांग लगाई है।
मुख्यमंत्री का यह कहना कि यशोदा मेडिसिटी जैसे संस्थान “5000 से अधिक लोगों को रोजगार देंगे”, यह बताता है कि स्वास्थ्य सेवा अब केवल उपचार नहीं, बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम भी बन चुकी है। यशोदा मेडिसिटी इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण है कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप किस प्रकार स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। जिन चिकित्सा सुविधाओं के लिए कभी भारतीयों को विदेश जाना पड़ता था, अब वही सेवाएं गाजियाबाद में एक छत के नीचे उपलब्ध होंगी — यह आत्मनिर्भर भारत की भावना का वास्तविक स्वरूप है।
आज जब दुनिया बीमारियों, महामारी और मानसिक स्वास्थ्य संकट जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, भारत का यह कदम केवल विकास नहीं बल्कि मानवता के प्रति उत्तरदायित्व का भी परिचायक है। राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक — सभी ने स्वास्थ्य सेवा को विकास की धुरी मानते हुए यह सुनिश्चित किया है कि आने वाला भारत स्वस्थ, समर्थ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध राष्ट्र बने।
यदि इस दिशा में निरंतरता बनी रही तो निकट भविष्य में भारत न केवल चिकित्सा पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनेगा बल्कि अपने नागरिकों को सस्ती, सुलभ और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाला विकसित भारत भी बनेगा — जैसा कि राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “शून्य से शिखर तक की यात्रा अब संभव है।”


