चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि क्रिप्टोकरेंसी भारतीय कानून के तहत संपत्ति मानी जाएगी। अदालत ने कहा कि हालांकि यह कानूनी मुद्रा नहीं है, लेकिन इसमें संपत्ति के सभी गुण मौजूद हैं। यह फैसला निवेशक की XRP क्वाइन होल्डिंग्स के मामले में आया, जिन्हें वजीरएक्स प्लेटफॉर्म पर साइबर हमले के बाद फ्रीज कर दिया गया था।
जस्टिस आनंद वेंकटेश ने कहा, “क्रिप्टोकरेंसी न तो भौतिक संपत्ति है और न ही मुद्रा, लेकिन यह एक ऐसी संपत्ति है जिसे व्यक्ति अपने पास रख सकता है या ट्रस्ट में रखी जा सकती है।”
अदालत ने संबंधित कंपनी को आदेश दिया कि वह XRP क्वाइन को पुनर्वितरित न करे, जब तक मध्यस्थता प्रक्रिया के तहत अंतिम निर्णय नहीं आ जाता।
यह फैसला भारत में क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति को स्पष्ट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। निवेशकों और वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि इससे डिजिटल संपत्ति के अधिकारों और संरक्षण में स्पष्टता आएगी।






