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Saturday, October 25, 2025

फर्रुखाबाद के गौरव “बैरिस्टर ब्रजनंदन लाल कटियार” को पुण्यतिथि पर दी गई विनम्र श्रद्धांजलि

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 सहकारिता आंदोलन के जनक, जिन्होंने करोड़ों की जमीन और धन समाज को समर्पित कर दिया

 भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू के सहपाठी रहे, कोऑपरेटिव बैंक की स्थापना कर लाखों किसानों को दिया आर्थिक बल
प्रशांत कटियार
फर्रुखाबाद।
भारत के सहकारिता आंदोलन की जड़ों में यदि किसी महान आत्मा का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जा सकता है, तो वह है,बाबू ब्रजनंदन लाल कटियार, जिन्हें लोग ससम्मान “बैरिस्टर साहब” के नाम से जानते हैं।उनकी पुण्यतिथि पर पूरे जनपद में लोगों ने इस महान समाजसेवी और दूरदर्शी नेता को नमन किया।
सहकारिता आंदोलन के जनक
बैरिस्टर बाबू ब्रजनंदन लाल कटियार वह व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपने जीवन की सम्पूर्ण पूंजी
करोड़ों रुपये मूल्य की भूमि और लाखों रुपये की धनराशि —
सहकारिता आंदोलन के लिए दान कर दी।
उन्होंने न केवल अपनी पैतृक संपत्ति त्यागी, बल्कि उससे भवन और संस्थान बनवाए जो आज भी समाजसेवा की मिसाल बने हुए हैं।
उनका स्पष्ट मानना था, कि
> “देश तभी सशक्त होगा जब किसान आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनेगा।”
इसी विचार को साकार करते हुए उन्होंने कोऑपरेटिव बैंक की स्थापना की,
जिससे आज लाखों किसान प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। बैंक का विलय करने के लिए उस दौर में प्रधानमंत्री चाचा नेहरू को फर्रुखाबाद उनके घर आना पड़ा था।
इतिहास के पन्ने बताते हैं कि बैरिस्टर ब्रजनंदन लाल कटियार भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के सहपाठी रहे।
वे उनके साथ विदेश में अध्ययनरत रहे, जहाँ उन्होंने कानून की पढ़ाई की और पश्चिमी शिक्षा प्रणाली से प्रभावित होकर
भारत लौटे तो “सहकारिता” का विचार लेकर आए।
स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने सक्रिय भागीदारी की।
ब्रिटिश शासन के विरुद्ध जनजागरण में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा,
जिससे फर्रुखाबाद सहित समूचे अवध क्षेत्र में स्वराज की लहर तेज हुई।
जनपद फर्रुखाबाद के बढ़पुर में जन्मे बैरिस्टर साहब अपने जीवन के हर चरण में जनहित और देशहित के लिए समर्पित रहे।
उन्होंने न केवल सहकारिता को प्रोत्साहित किया बल्कि शिक्षा, ग्रामीण विकास और कृषि सुधार के क्षेत्रों में भी अग्रणी भूमिका निभाई।
आज उनकी तीसरी पीढ़ी भी समाजसेवा की परंपरा को आगे बढ़ा रही है।
उनके वंशज “उत्सव भवन” के माध्यम से सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों का संचालन करते हैं,
जहां हर वर्ष हजारों जरूरतमंदों को सहायता प्रदान की जाती है।
भूमि दान लगभग 12 एकड़ से अधिक भूमि समाज कल्याण और संस्थानों को दान आज भी सार्थक है, इसके अलावा रामलीला गद्दा समेत तमाम जगह बाबूजी की विरासत कि आज समाज के काम आ रहीं हैं ।सहकारिता संस्थान उसी पर कार्यरत हैं।
कोऑपरेटिव बैंक, के जरिए अकेले फर्रुखाबाद के करीब 50,000 किसान खातेदार लाभान्वित हों रहे हैँ।
शिक्षा एवं प्रेरणा स्रोत नेहरू के सहपाठी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उनका जीवन युवाओं में “समर्पण और सेवा” की प्रेरणा को काफी है।
आज जब समाज में भौतिकवाद और निजी स्वार्थ का प्रभाव बढ़ रहा है,ऐसे समय में बैरिस्टर ब्रजनंदन लाल कटियार जैसे व्यक्तित्व समाज के लिए आदर्श हैं।
उन्होंने जो विरासत छोड़ी —
समर्पण, सहयोग और सहकारिता
वह आज भी देश की आत्मा को दिशा देती है।
लखनऊ स्थित एक भवन में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, किसानों और समाजसेवियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा
> “बैरिस्टर साहब ने जिस सहकारिता की नींव रखी थी,
आज उसी से लाखों किसानों की आजीविका सुरक्षित है।”
यूथ इंडिया परिवार की ओर से बैरिस्टर ब्रजनंदन लाल कटियार जी को शत-शत नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि।

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