फर्रुखाबाद। रबी सीजन की शुरुआत होते ही डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) की मांग में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। जिले के किसानों ने अपनी धान की फसल कटकर घर पहुंचा दी है और खाली खेतों में अब आलू, सरसों और अन्य रबी फसलों की बुवाई शुरू कर दी है। इसके चलते डीएपी की आवश्यकता तेजी से बढ़ गई है।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, दीपावली की छुट्टियों के कारण पिछले तीन-चार दिनों से किसान डीएपी के लिए समितियों के चक्कर काट रहे हैं। इस बार खाद वितरण में फार्मर रजिस्ट्री कराने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है। जिन किसानों ने अभी तक फार्मर रजिस्ट्री नहीं कराई है, उन्हें खाद मिलने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
कृषि महकमा भी अपनी किरकिरी से बचने के लिए पहले से ही अलर्ट मोड में है। विभाग का कहना है कि अक्तूबर और नवंबर माह के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुसार डीएपी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। हालांकि, इस बार किसानों को बल्क में डीएपी नहीं दी जाएगी और वितरण मानक के अनुसार ही किया जाएगा।
विभागीय निर्देशों के मुताबिक, इस बार फार्मर रजिस्ट्री कराने वाले किसानों को उनकी एक हेक्टेयर कृषि भूमि की खतौनी के आधार पर तीन बोरी डीएपी उपलब्ध कराई जाएगी। समितियों के सचिव और दुकानदारों को यही निर्देश दिए गए हैं कि किसान की खतौनी में दर्ज रकबे के अनुसार ही डीएपी वितरण सुनिश्चित किया जाए। यह कदम किसानों में पारदर्शिता और समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
किसानों का कहना है कि अब वे अपनी फसल के लिए आवश्यक खाद समय पर प्राप्त कर सकेंगे, लेकिन जिन किसानों की रजिस्ट्री नहीं हुई है, उन्हें अब भी इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं, कृषि विभाग लगातार यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी भी किसान को मानक के अनुसार डीएपी मिलने में कोई परेशानी न हो।


