कांग्रेस ने साधा मोदी सरकार पर निशाना,ट्रंप बता रहे हैं भारत की विदेश नीति, प्रधानमंत्री चुप हैं

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नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद देश की राजनीति गर्मा गई है, जिसमें उन्होंने कहा कि “भारत अब रूस से ज्यादा तेल नहीं खरीदेगा।” ट्रंप ने यह दावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर हुई बातचीत के बाद किया, जिसके बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि यह पिछले छह दिनों में चौथी बार है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत की विदेश नीति को सार्वजनिक किया है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री ने सिर्फ यह बताया कि ट्रंप ने उन्हें फोन किया और दीपावली की शुभकामनाएं दीं, लेकिन बातचीत के असली मुद्दे छिपा लिए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “मोदी जो छिपाते हैं, ट्रंप वो सब बता देते हैं।” रमेश ने आरोप लगाया कि अमेरिकी राष्ट्रपति लगातार भारत की नीतियों और निर्णयों की जानकारी पहले से सार्वजनिक कर रहे हैं, जबकि भारत सरकार अपने नागरिकों के साथ कोई स्पष्टता नहीं रखती। उन्होंने यह भी कहा कि इससे पहले 10 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बंद होने की जानकारी भी ट्रंप ने ही दी थी, न कि प्रधानमंत्री ने।

गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों से ट्रंप बार-बार भारत और रूस के बीच तेल व्यापार को लेकर बयान देते रहे हैं। इस बार उन्होंने व्हाइट हाउस में कहा कि, “मैं भारत के लोगों से प्यार करता हूं। आज मेरी प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत हुई। वह रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं, इसलिए अब भारत रूस से अधिक तेल नहीं खरीद रहा।” ट्रंप के इस दावे ने राजनीतिक हलकों में नई हलचल पैदा कर दी है।

उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर ट्रंप के साथ हुई बातचीत की जानकारी साझा करते हुए लिखा—“फोन कॉल और दीपावली की शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद राष्ट्रपति ट्रंप। यह प्रकाश पर्व हमारे दोनों महान लोकतंत्रों को आशा की किरण बनने और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट खड़े होने की प्रेरणा दे।”

यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका और भारत के बीच व्यापार, टैरिफ और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दों पर मतभेद खुले तौर पर सामने आ रहे हैं। ट्रंप के लगातार बयानों ने भारत की विदेश नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं और विपक्ष इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक विफलता करार दे रहा है। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से अब तक इस विवाद पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

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