नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिवाली की रात “ग्रीन पटाखे” जलाने की समयबद्ध अनुमति दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ी। राजधानी में न केवल तय समय के बाद भी पटाखे फोड़े गए, बल्कि पारंपरिक पटाखों का धुआं हवा में ज़हर घोलता रहा। रात 8 से 10 बजे के बीच की अनुमति को दरकिनार कर आधी रात तक आतिशबाज़ी चलती रही। इस बार एनसीआर के शहरों में कोई प्रतिबंध नहीं था, इसलिए वहां भी बड़ी मात्रा में पारंपरिक पटाखे जलाए गए। परिणामस्वरूप, इस साल दिवाली पर दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पिछले चार वर्षों की तुलना में सबसे ऊंचा दर्ज किया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, पीएम 10 का स्तर लगभग 18 गुना और पीएम 2.5 का स्तर 30 गुना अधिक दर्ज किया गया। हालांकि मंगलवार सुबह चलने वाली हल्की हवा से स्थिति कुछ नियंत्रण में आई और दिल्ली-एनसीआर में AQI “गंभीर” श्रेणी तक नहीं पहुंचा, परंतु “बहुत खराब” स्तर पर बना रहा। दिल्ली के प्रमुख इलाकों में प्रदूषण का स्तर बेहद चिंताजनक रहा — डिफेंस कॉलोनी में 475, नई दिल्ली में 338, शाहदरा में 304, दिल्ली में 318 और देवली में 155 दर्ज किया गया। सोमवार रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक कई प्रदूषण निगरानी स्टेशनों से डेटा गायब रहा। पटपड़गंज, नेहरू नगर, जेएलएन स्टेडियम और ओखला फेज-2 जैसे स्टेशनों पर कोई डेटा दर्ज नहीं किया गया। इस पर सवाल उठाते हुए डीपीसीसी के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डॉ. एम. जॉर्ज ने कहा कि अगर यह “ग्रीन दिवाली” थी, तो जनता को यह जानने का अधिकार है कि उन्होंने रात में क्या सांस ली। जब प्रदूषण चरम पर था, उस समय सीपीसीबी की मॉनिटरिंग प्रणाली क्यों बंद कर दी गई? आईआईटी-एम पुणे की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, पराली जलाने से दिवाली के दिन दिल्ली के प्रदूषण में केवल 0.8 प्रतिशत योगदान रहा, जबकि अगले दिन यह बढ़कर 1 प्रतिशत हुआ। शहर में प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं था, जिसका हिस्सा 15 से 16 प्रतिशत तक रहा। मौसम विभाग के अनुसार, दिवाली की रात हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी थी और गति बेहद कम थी, जिसके कारण प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा। मंगलवार सुबह पूर्व दिशा से चलने वाली 10 किलोमीटर प्रति घंटे की हवाओं ने अस्थायी राहत दी, लेकिन शाम तक हवा की गति घटने और कुछ इलाकों में दिवाली के दूसरे दिन भी पटाखे जलाने से स्थिति फिर से बिगड़ गई। शाम 7 बजे तक दिल्ली का AQI 370 तक पहुंच गया और विशेषज्ञों ने बुधवार को इसके 400 के पार जाकर “गंभीर” श्रेणी में पहुंचने की आशंका जताई। दिल्ली सरकार पर भी प्रदूषण नियंत्रण में लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों के बावजूद ग्रीन पटाखों की आड़ में पारंपरिक पटाखों की बिक्री और जलाना जारी रहा। प्रदूषण रोकथाम के लिए कोई ठोस तैयारी नहीं की गई। एनवायरोकैटालिस्ट्स के संस्थापक और विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि 2020 से दिवाली अक्टूबर के अंत और नवंबर के मध्य के बीच पड़ रही है, जब कम तापमान और स्थिर वायुमंडलीय परिस्थितियां प्रदूषण की उच्च सांद्रता पैदा करती हैं। इस साल दिवाली अक्टूबर की शुरुआत में पड़ने और मौसम बेहतर रहने के बावजूद, पटाखों ने हवा को फिर से जहरीला बना दिया।





