17 साल पहले गेहूं की खदाई के बहाने बुलाकर की थी युवक की हत्या, 17 अक्टूबर को होगी सजा; साक्ष्य न मिलने पर दो बरी
फर्रुखाबाद: जनपद में 17 वर्ष पूर्व हुए चर्चित अपहरण और हत्या (kidnapping and murder) के मामले में अदालत ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। विशेष न्यायाधीश ईसी एक्ट तरुण कुमार सिंह की अदालत ने दो भाइयों सहित तीन आरोपियों को हत्या, अपहरण और सबूत मिटाने के आरोप में दोषी ठहराया, जबकि साक्ष्य के अभाव में दो आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत दोषियों की सजा का निर्धारण 17 अक्टूबर को करेगी।
यह मामला कम्पिल थाना क्षेत्र के गांव भोगपुर अतम्गापुर निवासी गंगा सिंह द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट से संबंधित है। शिकायत में कहा गया था कि 5 मई 2008 को उनके पुत्र जितेन्द्र कुमार को गेहूं की खदाई के बहाने घर से बुलाकर उसकी हत्या कर दी गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, जितेन्द्र ने कुछ समय पहले चीनू उर्फ राजमियां पुत्र पुत्तन अली निवासी डाक बंगला, कायमगंज की जमानत कराने में आर्थिक सहयोग किया था। बाद में पैसे की वापसी को लेकर दोनों के बीच विवाद हो गया था। इसी रंजिश के चलते 5 मई 2008 को दोपहर करीब 2 बजे राजमियां, चन्द्रशेखर, छोटू पुत्र धनीराम, तथा अन्य आरोपी आदिल पुत्र छोटे खां, करू पुत्र छोटे खां, बदर पुत्र फारूक अली उर्फ कल्लू निवासी नूरपुर गढ़िया थाना कम्पिल और टीपू पुत्र पुत्तन अली निवासी डाक बंगला कायमगंज ने मिलकर षड्यंत्र रचा।
आरोप है कि सभी ने मिलकर शराब व मांस पार्टी की, जिसके दौरान जितेन्द्र कुमार को गोली मारकर हत्या कर दी गई और आदिल ने अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली से शव को ठिकाने लगा दिया। पुलिस ने पांच आरोपियों के खिलाफ अपहरण, हत्या और साक्ष्य मिटाने के मामले में रिपोर्ट दर्ज की थी। विवेचना पूरी होने के बाद राजमियां, छोटू, आदिल, आसिफ और बदर के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया गया।
अभियोजन पक्ष की ओर से श्रवण कुमार ने दलीलें पेश कीं। दोनों पक्षों की सुनवाई और गवाहों के बयानों के बाद अदालत ने राजमियां, आदिल और आसिफ को दोषी करार दिया। वहीं, साक्ष्य के अभाव में छोटू और बदर को बरी कर दिया गया। अदालत ने तीनों दोषियों को 17 अक्टूबर को सजा सुनाने की तिथि निर्धारित की है।


