शमशाबाद: ब्लॉक के गंगा कटरी क्षेत्र के ग्राम पैलानी दक्षिण (village of Pailani South) में गंगा नदी की कटान लगातार बढ़ती जा रही है। कटान की रफ्तार इतनी तेज़ है कि अब तक दर्जनभर ग्रामीणों के आशियाने नदी में समा चुके हैं। लगातार हो रही इस प्राकृतिक तबाही से क्षेत्र के किसान और ग्रामीण गहरी मायूसी और दहशत में हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि हाल ही में आई विनाशकारी बाढ़ ने तो जीवन अस्त-व्यस्त कर ही दिया था, परंतु अब कटान ने उनके सिर पर एक और संकट खड़ा कर दिया है। जहां पहले खेत और खलिहान डूबे थे, अब वही ज़मीन गंगा की धारा में समा रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि कटान की जद में अब कई मकान और खेत हैं, जिससे हर कोई भयभीत है। कई परिवारों को अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है। लगातार बढ़ते कटान की जानकारी मिलते ही ग्राम प्रधान जुबेर खां के नेतृत्व में ग्रामीणों ने प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की। ग्रामीणों की शिकायत पर सोमवार को राजस्व विभाग की टीम गांव पहुँची और कटानग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान टीम ने पाया कि नदी का प्रवाह गांव की ओर बढ़ता जा रहा है, जिससे आगामी दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। अधिकारियों ने बाढ़ प्रभावित लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे कटान क्षेत्र से दूर रहें और किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन से संपर्क करें।
टीम के अधिकारियों ने कहा,
“कटान लगातार बढ़ रहा है, यह किसी भी समय बड़ा खतरा बन सकता है। ग्रामीण सावधान रहें और सुरक्षित स्थानों पर जाएँ।”
स्थानीय किसानों का कहना है कि बाढ़ समाप्त होने के बाद भी उनके खेतों में जलभराव की स्थिति बनी हुई है, जिससे जुताई और बुवाई का कार्य ठप पड़ा है। किसान चिंतित हैं कि यदि समय पर जुताई नहीं हो सकी तो आगामी रबी फसलों की बुवाई संभव नहीं होगी। ग्रामीण किसान रामप्रकाश, सिराजुद्दीन और विजयपाल सिंह ने बताया कि डेढ़ महीने तक चली बाढ़ ने उनकी फसलें तबाह कर दीं, अब कटान उनके खेतों को भी निगल रहा है।
गांव के लोगों ने बताया कि दीपावली जैसा पवित्र त्यौहार नज़दीक है, मगर कटान और आर्थिक तंगी के कारण उत्सव की रौनक गायब है। लोग यह तक नहीं समझ पा रहे कि घर बचाने की चिंता करें या त्यौहार की तैयारी करें। ग्राम प्रधान जुबेर खां ने कहा कि प्रशासन से मदद मांगी गई है ताकि प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत और पुनर्वास की सुविधा दी जा सके।


