शरद कटियार
उत्तर प्रदेश की धरती एक बार फिर यह साबित कर रही है कि जब सरकार संकल्प ले लेती है तो अपराध, छल और माफिया राज की जड़ें भी उखाड़ फेंकी जा सकती हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के “भ्रष्टाचार और अपराध (corruption and crime) पर ज़ीरो टॉलरेंस” के सिद्धांत ने कानून के मंदिर — यानी न्यायालय और कचहरी — की गरिमा को बचाने का ऐतिहासिक अभियान शुरू किया है।
फर्रुखाबाद में वर्षों से सक्रिय एक ऐसा गैंग, जो न्याय के नाम पर झूठे मुकदमों, उत्पीड़न और धन उगाही का खेल खेल रहा था, अब कानून के शिकंजे में है। यह गैंग अपने प्रभाव और नेटवर्क का इस्तेमाल कर निर्दोष लोगों को फंसाने, समाज में डर फैलाने और कानून को अपनी सुविधा के हिसाब से मोड़ने में जुटा था।
सूत्रों के अनुसार, इस गिरोह की जड़ें केवल फर्रुखाबाद तक सीमित नहीं थीं। कन्नौज, एटा, मैनपुरी, और इटावा तक फैले इस नेटवर्क में कुछ वकील, पत्रकार, और रसूखदार तत्व शामिल रहे हैं, जो कानून का मुखौटा पहनकर समाज में अराजकता फैला रहे थे। इस नेटवर्क का नेतृत्व माफिया अनुपम दुबे, संजीव परिया, और कचहरी प्रैक्टिशनर अवधेश मिश्रा जैसे लोगों के पास था जिन्होंने न्यायालय की गरिमा को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
फतेहगढ़ कचहरी के आसपास का क्षेत्र वर्षों से इस नेटवर्क का गढ़ बना हुआ था। यहां आम नागरिकों को झूठी शिकायतों और झूठे बलात्कार के मुकदमों में फंसा कर उनसे भारी भरकम रकम वसूली जाती थी। कई बार इन मुकदमों में महिलाओं को मोहरा बनाया गया, जिससे समाज में भय और असुरक्षा का माहौल बन सके। यह पूरा गिरोह कानून की पवित्रता को व्यापार में बदल चुका था। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। फतेहगढ़ पुलिस और जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के तहत इस माफिया नेटवर्क के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई शुरू कर दी है। अपराधी अवधेश मिश्रा के फरार होने के बाद जिले की पुलिस ने चारों ओर जाल बिछा दिया है।
इस पूरे मामले की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि अब प्रशासन ने अपनी सीमाओं से ऊपर उठकर न्याय के साथ खड़ा होना शुरू किया है। पुलिस के साथ-साथ शासन स्तर पर भी इस प्रकरण की समीक्षा की जा रही है। खबर है कि आला अधिकारी, न्यायिक अधिकारी, वकील, और प्रशासनिक कर्मियों की भूमिकाओं की जांच भी शुरू कर दी गई है।
योगी सरकार का यह संदेश बिल्कुल स्पष्ट है—
“अब कोई भी व्यक्ति, चाहे वह वकील हो, नेता हो या पत्रकार — यदि वह कानून का दुरुपयोग करेगा, तो उसके लिए उत्तर प्रदेश की धरती पर कोई जगह नहीं है।”
जनमानस में इस कार्रवाई को लेकर जबरदस्त संतोष और गर्व की भावना है। लोगों का कहना है कि आखिरकार अब “सत्य की जीत और न्याय की प्रतिष्ठा” दिखने लगी है।
यह मामला सिर्फ फर्रुखाबाद का नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की न्याय व्यवस्था के पुनर्जागरण की कहानी है। कानून का डर और न्याय में विश्वास — यही दो स्तंभ अब प्रदेश में फिर से खड़े हो रहे हैं।
फर्रुखाबाद से उठी यह कार्रवाई भविष्य में उन सभी के लिए चेतावनी है, जो अदालतों की आड़ में माफिया मानसिकता के साथ खेल खेलते आए हैं।
✍️ “कानून अब खरीदा नहीं जाएगा,
न्याय अब दबेगा नहीं — योगी सरकार ने यह युगांतरकारी संदेश पूरे प्रदेश को दे दिया है।”


