आईपीएस वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या से सियासी भूचाल: कांग्रेस ने दी आंदोलन की चेतावनी,

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नई दिल्ली/चंडीगढ़। हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या ने पूरे राज्य की सियासत को झकझोर दिया है। कांग्रेस ने इस मामले में निष्पक्ष जांच न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है, जबकि दलित संगठनों ने रविवार को चंडीगढ़ में महापंचायत बुलाई है। इस बीच, पुलिस ने परिवार की मांग पर FIR में SC/ST एक्ट की गंभीर धारा 3(2)(V) जोड़ दी है, जिसके तहत दोषी को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शनिवार को पहली बार मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक बहुत दुखद घटना है और सरकार गहन जांच कराएगी, चाहे दोषी कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो। उधर, दलित संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

एफआईआर में जोड़ी गई नई धारा SC/ST एक्ट की धारा 3(2)(V) तब लगाई जाती है, जब किसी दलित या जनजाति व्यक्ति के साथ जातिगत कारणों से गंभीर अपराध किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु या गंभीर चोट होती है। पहले जिन धाराओं में मामला दर्ज हुआ था, उनमें अधिकतम सजा 5 वर्ष थी, लेकिन अब आजीवन कारावास का प्रावधान लागू हो गया है।

आईपीएस पूरन कुमार के पोस्टमार्टम में देरी पर भी सवाल उठ रहे हैं। रविवार को चंडीगढ़ में होने वाली महापंचायत में देशभर से दलित संगठन शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस नेता राव नरेंद्र सिंह ने कहा कि यह मामला पूरे देश में मानसिक उत्पीड़न और भेदभाव की चिंता को बढ़ा रहा है। पार्टी ने घोषणा की है कि तीन दिनों के भीतर जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर परिवार को न्याय दिलाने की मांग की जाएगी।

इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मृतक के परिवार से मुलाकात की और कहा कि यह घटना पूरे समाज के लिए गंभीर चेतावनी है।

आईपीएस पूरन कुमार के सुसाइड नोट में उन्होंने तत्कालीन DGP मनोज यादव, पूर्व ACS राजीव अरोड़ा, और कई वरिष्ठ अधिकारियों पर लगातार मानसिक उत्पीड़न, अपमान और भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने लिखा था कि उन्हें बीमार पिता से मिलने तक की अनुमति नहीं दी गई और छद्म नामों से झूठी शिकायतें दर्ज करवाई गईं।

सरकार ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारणिया को उनके पद से हटा दिया है और उनकी जगह सुरेंद्र सिंह भौरिया को नियुक्त किया गया है।

मामले में 15 सेवारत और सेवानिवृत्त IAS-IPS अधिकारी जांच के दायरे में हैं, जिनमें हरियाणा के DGP शत्रुजीत कपूर का नाम भी शामिल है। दलित संगठनों ने चेतावनी दी है कि जब तक सभी आरोपियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

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