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Monday, October 27, 2025

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के साथ रूस पहुंचे

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– काल्मिकिया की राजधानी एलिस्ता में हुआ भव्य स्वागत, सांस्कृतिक और कूटनीतिक रिश्तों को मिलेगा नया आयाम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya) भगवान बुद्ध (Lord Buddha) के पवित्र अवशेषों को लेकर प्रतिनिधिमंडल सहित रूस के काल्मिकिया गणराज्य की राजधानी एलिस्ता पहुँचे, जहाँ इन अवशेषों को प्रदर्शित किया जाएगा। एलिस्ता पहुंचने पर उपमुख्यमंत्री श्री मौर्य तथा पवित्र अवशेषों का भव्य स्वागत काल्मिकिया गणराज्य के प्रमुख महामहिम श्री बातू सर्जेयेविच खासिकोव, भारत के राजदूत श्री विनय कुमार, काल्मिक जनता के उच्च धर्मगुरु शाजिन लामा सहित वरिष्ठ भिक्षुगणों और गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया।

ज्ञातव्य है कि श्री मौर्य बीती रात दिल्ली से काल्मिकिया के लिए प्रस्थान किए थे। रवाना होने से पूर्व पालम एयरपोर्ट पर उन्होंने पूज्य भिक्षुगणों के साथ भगवान बुद्ध के पवित्र पीपरहवा अवशेषों का पूजन किया।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने कहा

 

“मेरे जीवन का यह सौभाग्यशाली क्षण है कि मुझे भगवान तथागत बुद्ध के पवित्र अवशेषों को लेकर रूस (काल्मिकिया) जाने का अवसर मिला है, जहाँ यूरोप का सबसे बड़ा भगवान बुद्ध मंदिर स्थित है। यह न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि विश्व में शांति, करुणा और अहिंसा के संदेश को फैलाने का प्रतीक भी है।”

उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को इस ऐतिहासिक अवसर के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि भगवान बुद्ध के ये अवशेष उत्तर प्रदेश के पीपरहवा (प्राचीन कपिलवस्तु नगरी) से प्राप्त हुए हैं, जिनका एक लंबा और गौरवशाली इतिहास है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इन अवशेषों की वापसी के दिन इसे भारत के लिए गर्व का दिन बताया था।

मौर्य ने कहा कि भारत और रूस के बीच गहरे और ऐतिहासिक संबंध हैं, जिन्होंने हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ दिया है। भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी दोनों देशों के बीच न केवल सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को और सुदृढ़ करेगी, बल्कि वैश्विक शांति और सद्भाव के संदेश को भी नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी।

उन्होंने कहा कि यह पहल भारत को बौद्ध धर्म की जन्मभूमि और परंपरा का संरक्षक स्थापित करने के साथ-साथ सभ्यतागत विरासत को पुनः प्रतिष्ठित करेगी। यह भगवान बुद्ध के करुणा, शांति और अहिंसा के संदेश को विश्व पटल पर और अधिक प्रभावी ढंग से प्रसारित करने का अवसर है।

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