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Sunday, November 9, 2025

रामायण – श्रेय और प्रेय का साधन: प्रो. बल बहादुर त्रिपाठी का व्याख्यान

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लखनऊ: नवयुग कन्या महाविद्यालय, राजेंद्र नगर के संस्कृत विभाग एवं ग्लोबल संस्कृत फोरम, लखनऊ मंडल के संयुक्त तत्वाधान में महर्षि वाल्मीकि जयंती (Maharishi Valmiki Jayanti) के अवसर पर एक दिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. मंजुला उपाध्याय ने की। संगोष्ठी का विषय था “रामायण में मानवीय मूल्य” (human values ​​in ramayana)। कार्यक्रम का शुभारंभ संयोजिका एवं सह-आचार्या डॉ. वंदना द्विवेदी द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत कर किया गया। अतिथि वक्ताओं का परिचय डॉ. उमा सिंह, अध्यक्ष ग्लोबल संस्कृत फोरम, लखनऊ मंडल ने दिया।

मुख्य वक्ता प्रो. बल बहादुर त्रिपाठी, निदेशक शोध पीठ, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी ने रामायण के आदर्शों और उनके आधुनिक समाज में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रामायण धर्म, न्याय, त्याग, भक्ति, सेवा, सत्यनिष्ठा, विद्या और समर्पण जैसे मानवीय मूल्यों का सर्वोत्तम स्रोत है। राम के चरित्र में सत्य का पालन और धर्म के प्रति निष्ठा सर्वोपरि है।

विशिष्ट वक्ता डॉ. अभिमन्यु सिंह, विभागाध्यक्ष संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने कहा कि रामायण मानव जीवन में समानता, नैतिकता और एकरूपता का संदेश देती है। उन्होंने रावण और राम के चरित्र के माध्यम से सही और गलत आचरण की शिक्षा दी। प्राचार्य प्रो. मंजुला उपाध्याय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि रामायण के प्रत्येक पात्र से त्याग, मैत्री, न्याय, जनकल्याण, सहजीवन, निष्ठा, सेवा, क्षमा, करुणा, भातृ प्रेम और नारी सम्मान जैसे मूल्य सीखने चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वंदना द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर ग्लोबल संस्कृत फोरम के महासचिव डॉ. राजेश मिश्र, कार्यकारिणी सदस्य डॉ. रजनी सरीन, प्रो. ऋचा शुक्ला, डॉ. रेखा शुक्ला, रश्मि सिंह सहित महाविद्यालय की छात्राएं, शोध छात्र और संस्कृत सुधीजन उपस्थित रहे।

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