भदोही: जनपद Bhadohi के ज्ञानपुर में शनिवार को चौथे अंतरराष्ट्रीय कालीन मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने किया। मुख्यमंत्री तय समय से लगभग 20 मिनट देरी से पहुंचे। इस अवसर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही, अभयनपुर से मेगा मार्ट तक केवल चिन्हित लोग ही कार्यक्रम स्थल तक पहुँच सके। इस दौरान 1200 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे।
मुख्यमंत्री ने उद्घाटन समारोह में अमेरिकी टैरिफ से उत्पन्न हालात के मद्देनजर निर्यातकों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार उद्योग को अमेरिकी टैरिफ से होने वाले प्रभाव से निकालने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाश रही है। इसके तहत विश्व के कई देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर काम चल रहा है। हालांकि, इस अवसर पर किसी भी तरह का बेल आउट पैकेज घोषित नहीं किया गया।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कालीन उद्योग लाखों लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराता है और इसके विकास के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट) योजना में कालीन को शामिल कर इस उद्योग से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि जीएसटी दरों में कटौती से इस उद्योग को सीधा लाभ हुआ है, जिसमें 12 से 18 प्रतिशत तक के स्लैब में आने वाली रॉ मैटीरियल अब 5 प्रतिशत में आ गई है।
मुख्यमंत्री ने भविष्य की योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि भारत सरकार यूएई और यूके के साथ FTA के अंतिम चरण में है। साथ ही काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय को जल्द ही विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 11 वर्ष पहले कार्पेट उद्योग बंदी के कगार पर था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भदोही, मीरजापुर और वाराणसी के कार्पेट क्लस्टर को नई ऊर्जा मिली। भदोही में कार्पेट एक्सपो मार्ट की स्थापना की गई, जिससे विदेशी खरीदारों की संख्या बढ़ी और आज 88 देशों से 300-400 विदेशी बायर्स मेला देखने आ रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ ने यह भी बताया कि यूपी सरकार ने ओडीओपी योजना के तहत प्रत्येक जिले में विशिष्ट उद्योगों को प्रोत्साहित किया है। भदोही के कालीन, मुरादाबाद के पीतल, फिरोजाबाद के ग्लास और वाराणसी के सिल्क को नई पहचान मिली है। 2017 में ओडीओपी योजना शुरू होने के बाद यूपी अब दो लाख करोड़ से अधिक के निर्यात की दिशा में अग्रसर है। यह मेला उद्योग जगत को नया प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा और स्थानीय हस्तशिल्प को वैश्विक मान्यता दिलाने में मदद करेगा।


