स्मृति दिवस पर विशेष ,व्यक्ति नहीं विचार थे कांशीराम

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फर्रुखाबाद। कभी-कभी एक व्यक्ति नहीं, एक विचार जन्म लेता है और वह विचार सदियों तक व्यवस्था को झकझोरता रहता है ऐसा ही एक विचार थे मान्यवर कांशीराम जो सदैव दबे-कुचले, शोषित और वंचित वर्गों के लिए आशा की किरण बने रहे।
यह बात विचारक एवं कवि। जगनमोहन गौतम ने 9 अक्टूबर कांशी राम की पुण्यतिथि के संदर्भ में कही।
उन्होंने कहा कि कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के एक साधारण परिवार में हुआ।शुरुआत में वे रक्षा अनुसंधान संस्थान में कार्यरत थे। लेकिन वहीं उन्होंने भेदभाव का वह चेहरा देखा जो शिक्षित दीवारों के पीछे भी जिंदा था।
यहीं से उनकी आत्मा ने आवाज दी ।उन्होंने नौकरी छोड़ दी और उस दिशा में चल पड़े जहाँ कोई रास्ता नहीं था, पर मंज़िल थी।उन्होंने पहले वामसेफ संगठन बनाया जो शिक्षित बहुजन कर्मचारियों को जागृत करने का काम करता रहा।फिरदलित शोषित समाज संघर्ष समिति,और 1984 में उन्होंने स्थापित की बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की। जिसने भारतीय राजनीति में सत्ता के समीकरण बदल दिए।

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