वॉशिंगटन: अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की आव्रजन नीतियों के तहत फंसे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों ने वीजा बहाल करवाने के लिए अमेरिकी विदेश विभाग के खिलाफ मुकदमे दायर किए हैं। इस मामले में सबसे अधिक संख्या भारतीय छात्रों की है। ट्रंप सरकार सत्ता में आने के बाद से अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अमेरिकी कानून के उल्लंघन और इजरायल विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने का हवाला देते हुए हजारों छात्रों के वीजा रद्द किए हैं।
इमीग्रेशन कानूनी सहायता कंपनी इंपैक्ट लिटिगेशन के अनुसार अगस्त और सितंबर में कुल 217 छात्रों ने अपने वीजा अचानक रद्द किए जाने को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग मुकदमे दायर किए हैं। अगस्त में 59 छात्रों की ओर से दायर पहले मुकदमे में रुबियो, होमलैंड सुरक्षा विभाग-डीएचएस प्रमुख क्रिस्टी नोएम और आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग-आईसीई के कार्यवाहक निदेशक टॉड लियोन्स को प्रतिवादी बनाया गया। सितंबर में दायर दूसरे मुकदमे में 158 छात्रों ने सिर्फ रुबियो को प्रतिवादी बनाया।
एटार्नी चार्ल्स कुक और सिसकिंड की टीम ने बताया कि इससे पहले भी कई छात्रों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमे दायर किए थे। अदालत के आदेश के बाद कई छात्रों के रिकॉर्ड स्टूडेंट एक्सचेंज विजिटर इन्फॉरमेशन सिस्टम (SEVIS) में बहाल किए गए, लेकिन कुछ के वीजा अभी भी रोक पर हैं।
SEVIS एक वेब-आधारित प्रणाली है, जिसका उपयोग अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग F-1 और M-1 वीजा वाले छात्रों और J-1 वीजा पर आने वाले अध्यापकों व शोधकर्ताओं की जानकारी एकत्र करने के लिए करता है। इसके जरिए उनकी स्थिति और गतिविधियों पर नजर रखी जाती है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण व्यवस्था है। अमेरिका में अध्ययन हेतु किसी विश्वविद्यालय या वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम में एडमिशन मिलने पर छात्रों को फॉर्म I-20 के रूप में ‘गैर-आप्रवासी छात्र स्थिति के लिए पात्रता प्रमाणपत्र’ जारी किया जाता है, जिस पर आधारित F-1 वीजा प्रदान किया जाता है।