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Tuesday, October 7, 2025

F-35 और J-20 को चुनौती देगा भारत का स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट AMCA, 5.5वीं पीढ़ी की तकनीक से होगा लैस

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नई दिल्ली: भारत रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। देश का स्वदेशी एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट अब अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है, जो न सिर्फ देश के लिए गर्व की बात है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है। अभी तक स्टील्थ टेक्नोलॉजी केवल अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों के पास थी, लेकिन भारत अब इस क्षेत्र में 5.5वीं पीढ़ी की टेक्नोलॉजी के साथ प्रवेश करने जा रहा है, जो मौजूदा सभी लड़ाकू विमानों से कहीं अधिक आधुनिक और उन्नत मानी जा रही है।

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, AMCA पूरी तरह से स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट होगा, जो दुश्मन के रडार को चकमा देने की क्षमता रखेगा। इसे एडवांस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर टेक्नोलॉजी से लैस किया जाएगा, जिससे यह किसी उड़ते हुए “कॉम्बैट कंप्यूटर सिस्टम” की तरह काम करेगा। इसका उद्देश्य सिर्फ दुश्मनों पर हमला करना नहीं, बल्कि आसमान से लेकर जमीन तक के युद्ध नियंत्रण केंद्रों के बीच तालमेल बैठाना होगा।

AMCA में गैलियम नाइट्राइड (GaN) मॉड्यूल पर आधारित स्वदेशी “उत्तम रडार सिस्टम” लगाया जाएगा, जिससे यह विमान और भी सटीक और शक्तिशाली बनेगा। यह तकनीक भारत को आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की दिशा में एक और कदम आगे ले जाएगी।

रक्षा सूत्रों का कहना है कि यदि भारत इस परियोजना को तय समय में पूरा कर लेता है, तो एशिया में शक्ति संतुलन पूरी तरह बदल सकता है। भारत की यह सफलता न केवल अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करेगी, बल्कि वियतनाम, मलेशिया और मध्यपूर्व के देशों के लिए भी यह एक बड़ा विकल्प बन सकती है, जो भविष्य में इस जेट के संभावित खरीदार हो सकते हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, चीन जहां छठी पीढ़ी के फाइटर जेट की तकनीक का दावा कर रहा है, वहीं वह अब तक अपना भरोसेमंद इंजन विकसित नहीं कर सका है और रूस पर निर्भर है। भारत इस मोर्चे पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और इंजन निर्माण के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर काम कर रहा है ताकि भविष्य में उसका विमान पूरी तरह “मेक इन इंडिया” हो सके।

अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो वर्ष 2028 में भारत का पहला AMCA प्रोटोटाइप उड़ान भरने के लिए तैयार होगा। यह न सिर्फ भारत को वैश्विक हथियार बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी बनाएगा, बल्कि यह दिखाएगा कि भारत अब रक्षा तकनीक के क्षेत्र में किसी भी महाशक्ति से पीछे नहीं है।

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