नई दिल्ली : देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था सुप्रीम कोर्ट में उस समय सनसनी फैल गई जब भारत के प्रधान न्यायाधीश श्री बी. आर. गवई के साथ सुनवाई के दौरान अभद्रता करने की कोशिश की गई। अदालत जैसी गरिमामयी जगह पर घटी यह घटना पूरे देश के लिए अत्यंत दुखद और शर्मनाक मानी जा रही है। न्यायालय की प्रतिष्ठा और संविधान की मर्यादा पर इस तरह का व्यवहार देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गहरी चोट के समान है।
सूत्रों के अनुसार, यह घटना एक अहम मामले की सुनवाई के दौरान हुई जब अदालत में मौजूद एक व्यक्ति ने अनुचित टिप्पणी करने का प्रयास किया। वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत स्थिति को नियंत्रित कर लिया, लेकिन इस दौरान अदालत की कार्यवाही कुछ देर के लिए बाधित हो गई।
इस घटना के बाद न्यायिक बिरादरी से लेकर राजनीतिक हलकों तक तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। सभी ने इस अभद्र व्यवहार की कड़ी निंदा की है और इसे न्यायपालिका की गरिमा पर सीधा हमला बताया है।
मायावती ने जताया गहरा दुख, कहा – न्यायपालिका की गरिमा पर चोट अस्वीकार्य
बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख सुश्री मायावती ने भी इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने बयान में कहा “सुप्रीम कोर्ट में भारत के प्रधान न्यायाधीश श्री बी. आर. गवई जी के साथ अभद्रता की कोशिश बेहद निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि देश की न्यायपालिका की गरिमा पर हमला है। ऐसी घटनाओं को हर हाल में रोका जाना चाहिए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।”
मायावती ने आगे कहा कि न्यायपालिका देश की आत्मा है और उसके सम्मान की रक्षा हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट प्रशासन से आग्रह किया कि इस घटना का समुचित संज्ञान लेते हुए जांच कराई जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
वरिष्ठ वकीलों और संवैधानिक विशेषज्ञों ने इस घटना को अभूतपूर्व और गंभीर बताया है। उनका कहना है कि अदालत में इस प्रकार की अभद्रता ‘अदालत की अवमानना’ के दायरे में आती है, जिसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है।
देशभर के बार एसोसिएशन और वकीलों के संगठनों ने एक सुर में मांग की है कि न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा के लिए सुरक्षा व्यवस्था और अनुशासन के मानकों को और सख्त किया जाये
प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई, जिन्होंने हाल ही में पदभार ग्रहण किया है, अपनी संवेदनशीलता, ईमानदारी और संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके साथ हुई इस तरह की घटना ने पूरे देश में गहरी चिंता पैदा की है।
सभी राजनीतिक दलों, न्यायविदों और नागरिक समाज ने एकमत से कहा है कि “यह केवल एक व्यक्ति पर अभद्रता नहीं, बल्कि भारत के संविधान, न्याय और लोकतंत्र पर हमला है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
अब पूरा देश इस घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहा है, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाने की हिम्मत न कर सके।