लखनऊ: कांग्रेस (Congress) ने यूपी के Rae Bareli में एक दलित युवक हरिओम पासवान की नृशंस हत्या (murder of Dalit youth) की कड़ी निंदा करते हुए एक करोड़ रुपये मुआवजे और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग की है, इसके साथ इस घटना की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस पार्टी ने यह भी मांग की है कि सभी आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए जाएं।
कांग्रेस नेता और पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग के प्रमुख राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि राज्य में पिछले 10 वर्षों में दलितों के खिलाफ अपराधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए, उन्होंने बताया कि अकेले 2023 में, पूरे भारत में दलितों के खिलाफ 57,789 अपराध दर्ज किए गए, जिनमें से सबसे अधिक 15,130 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए।
गौतम ने कहा कि देशभर में दलितों पर अत्याचार के 75 प्रतिशत मामले उत्तर प्रदेश समेत सिर्फ़ पाँच राज्यों में होते हैं। 3 अक्टूबर को हुई हरिओम पासवान की हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया जब कुछ विचलित करने वाले वीडियो ऑनलाइन सामने आए, जिनमें उन्हें बेल्ट और लाठियों से बेरहमी से पीटा जा रहा था। एक वीडियो में उनका शव रेलवे ट्रैक के पास पड़ा हुआ दिखाई दे रहा था। पुलिस ने तब से पाँच संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, ऊँचाहार थाने के एसएचओ का तबादला कर दिया है और तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।
इस बीच, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) ने इस घटना के विरोध में कल देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए दावा किया कि वीडियो साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद, आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप दर्ज नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पीड़ित परिवार से बात की है और उन्हें न्याय की लड़ाई में पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है।
चौधरी ने ज़ोर देकर कहा कि यह मामला सिर्फ़ एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ अपराध नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों पर हमला है। कांग्रेस और एनएसयूआई ने उत्तर प्रदेश सरकार से तीन प्रमुख माँगें रखी हैं, जिनमें आईपीसी की धारा 302 और 120बी के साथ-साथ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करना, एक करोड़ रुपये का मुआवज़ा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देना, पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और विशेष अदालत में तेज़ गति से सुनवाई कराना शामिल है।