-सरकारी नीलामी के माध्यम से ही वैध मानी जाएगी शत्रु संपत्तियों की बिक्री
-पाकिस्तानी नागरिकों के नाम पर दर्ज संपत्तियाँ आज भी मौजूद, 2017 के बाद से भूमाफिया कर रहे खुर्द-बुर्द
यूथ इंडिया, फर्रुखाबाद: जिले की बेशकीमती शत्रु संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ा जमाए बैठे कुछ लोगों द्वारा इन ज़मीनों को खुर्द-बुर्द करने और गुपचुप तरीके से बेचने की कोशिशें सामने आई हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ मामलों में तो संपत्तियों को पहले ही बेचा जा चुका है, जबकि इन अवैध सौदों की जांच शत्रु संपत्ति अभिरक्षक द्वारा अभी भी जारी है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, फर्रुखाबाद में कुछ अवैध कब्ज़ेदारों ने सरकारी नीलामी से पहले ही संपत्तियों को बेचने के लिए जाली कागजात तक तैयार किए हैं। इन कब्ज़ेदारों का इरादा सरकार द्वारा इन संपत्तियों को शत्रु-संपत्ति अभिरक्षक के अधीन लाने और पारदर्शी नीलामी करने से पहले ही बेचकर अवैध मुनाफा कमाना है।
सूत्रों ने पुष्टि की है कि कई स्थानों पर, अवैध कब्ज़ेदारों ने वर्षों से कब्ज़ा जमाए रखने का फायदा उठाते हुए, इन जमीनों को स्थानीय स्तर पर बेच दिया है। हालांकि, इन सभी बिक्री की वैधता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
शत्रु-संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय ऐसे सभी मामलों की गहन जांच कर रहा है जहाँ ‘शत्रु संपत्ति’ को खुर्द-बुर्द किया गया है या बेचा गया है। जांच पूरी होने पर, ये सभी अवैध सौदे रद्द किए जा सकते हैं और इसमें शामिल क्रेता-विक्रेता दोनों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
अधिकारियों ने आम जनता को पहले ही सख्त चेतावनी दी है कि वे शत्रु संपत्ति घोषित की गई ज़मीनों के किसी भी अवैध सौदे या खरीद-बिक्री से दूर रहें। उन्होंने स्पष्ट किया है कि इन संपत्तियों का मालिकाना हक केवल भारत सरकार के पास है, और अवैध कब्ज़ेदारों से खरीदी गई कोई भी जमीन अंततः जब्त कर ली जाएगी। शत्रु संपत्तियों की बिक्री केवल सरकारी नीलामी के माध्यम से ही वैध मानी जाएगी।
कायमगंज में पाकिस्तानी नागरिकों की जमीन बेची गई
कायमगंज तहसील के मौजा- हमीरपुर खास में भी ऐसी ही एक बड़ी अनियमितता सामने आई है। यहाँ पाकिस्तानी नागरिकों के नाम पर कई भूखंड मौजूद हैं, जिनकी जांच अभिरक्षक कार्यालय द्वारा प्रचलित है। इन भूखंडों के कुछ हिस्सों को अवैध रूप से विक्रय कर दिया गया है। जांचकर्ता यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह बिक्री कब और किन जाली दस्तावेजों के आधार पर की गई, तथा इसमें कौन से स्थानीय अधिकारी शामिल थे।