लखनऊ। प्रदेश में लैब टेक्निशनों की भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। साल 2016 में 921 पदों के लिए हुई इस भर्ती में आरटीआई के जरिए खुलासे के अनुसार कई उम्मीदवारों ने बिना न्यूनतम योग्यता हासिल किए आवेदन किया और उनका चयन भी कर लिया गया।सूत्रों के मुताबिक, आवेदन की अंतिम तारीख 15 अक्टूबर थी, लेकिन करीब 300 ऐसे उम्मीदवारों ने आवेदन किया जिनके पास डिप्लोमा केवल 30 नवंबर को प्राप्त हुआ। इससे नियुक्ति परीक्षा, चयन और तैनाती में अनियमितताओं के सवाल उठ रहे हैं।आरटीआई से मिले दस्तावेज अब मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, यूपीएसएसएससी अध्यक्ष और चिकित्सा सेवा के महानिदेशक को भेजे गए हैं, जिनसे जांच और कार्रवाई की मांग की गई है। शिकायत में 2016 में चयनित लैब टेक्निशनों जैसे भूपेंद्र (एमएलबी, मेडिकल कॉलेज, झांसी), अतुल चौरसिया (राजकीय मेडिकल कॉलेज, कन्नौज), उमंग चौधरी (एमएलबी, मेडिकल कॉलेज, झांसी), कीर्ति (मुख्य चिकित्साधिकारी, रायबरेली), रेनू कुमारी (महिला हॉस्पिटल, गाजियाबाद), अमित गौतम (मुख्य चिकित्साधिकारी, कानपुर देहात), अखिलेश कुशवाहा (मुख्य चिकित्साधिकारी, प्रतापगढ़) और रश्मि सिंह (मुख्य चिकित्साधिकारी, गौतमबुद्ध नगर) के नाम शामिल हैं।स्वास्थ्य महानिदेशालय के तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ भी अभ्यर्थियों ने शिकायतें दी थीं, लेकिन हर बार जांच का आश्वासन देकर मामले को टाल दिया गया। अब आरटीआई खुलासे के बाद अफसरों की मिलीभगत के आरोप जोर पकड़ रहे हैं।खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त ने भी लैब टेक्निशनों की भर्ती में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए जांच की सिफारिश की है। आरोप है कि विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित करवाना ही नहीं किया गया, ताकि ज्यादा लोग भर्ती की जानकारी तक न प्राप्त कर पाएं। इस अवसर का फायदा उठाकर बड़े अफसर और प्रभावशाली कर्मचारी अपने चहेतों और रिश्तेदारों को भर्ती करा चुके हैं।फिलहाल, मामले की जांच और भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उच्चस्तरीय कार्रवाई की मांग उठ रही है।