नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) का पांचवां दिन यानी शनिवार को देवी दुर्गा के पंचम स्वरूप यानी मां स्कंदमाता (Maa Skandamata) की पूजा की जाती है। इन्हें भगवान कार्तिकेय की जननी होने के कारण यह नाम प्राप्त हुआ। संतान सुख, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति के लिए यह महत्वपूर्ण है। मां के विग्रह में बालरूप स्कंद उनकी गोद में विराजमान रहते हैं।
मां स्कंदमाता का शरीर श्वेतवर्ण है और ये कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। इनकी चार भुजाओं में से एक हाथ में भगवान स्कंद, दो हाथों में कमल का पुष्प और एक हाथ सदैव अभय मुद्रा में रहता है। माना जाता है कि मां स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों के जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
पंचमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र 2025 के दौरान पंचमी तिथि 27 सितंबर को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 36 मिनट से 5 बजकर 24 मिनट तक रहने वाला है। इस दिन प्रात:कालीन संध्या सुबह 5 बजे से 6 बजकर 12 मिनट तक है। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस दिन संध्या पूजा मुहूर्त शाम 6 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि
स्नान और शुद्धिकरण: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
प्रतिमा स्थापित करें: घर के पूजा स्थल या मंदिर में चौकी पर मां स्कंदमाता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। मां को गंगाजल से स्नान कराएं, षोडशोपचार पूजन करें।
पुष्प और अक्षत: मां स्कंदमाता को कमल का फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
मंत्र जाप: “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
आरती और दुर्गासप्तशती पाठ: मां स्कंदमाता की आरती करें और दुर्गासप्तशती या देवी कवच का पाठ करें।