प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (High Court) ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) को संयुक्त राज्य इंजीनियरिंग सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा (Engineering Services (Preliminary) Examination) 2024 का संशोधित परिणाम जारी करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने आयोग को संशोधित परिणाम जारी होने के बाद ही मुख्य परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकल पीठ के समक्ष कल सुनवाई हुई। रजत मौर्य और 41 अन्य ने याचिकाएँ दायर की थीं।
उच्च न्यायालय ने आयोग को परिणामों में माइग्रेशन के सिद्धांत को अनिवार्य रूप से लागू करने का आदेश दिया। इस निर्णय के तहत, आरक्षित वर्ग के जिन अभ्यर्थियों ने योग्यता के आधार पर अनारक्षित वर्ग के कट-ऑफ अंकों के बराबर या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं, उन्हें अनारक्षित सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत में तर्क दिया कि आयोग ने मुख्य परीक्षा के लिए 9,135 उम्मीदवारों को योग्य घोषित नहीं किया, यानी भर्ती विज्ञापन के अनुसार कुल रिक्तियों की संख्या के 1:15 के अनुपात में, बल्कि केवल 7,358 को ही सफल घोषित किया। उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम श्रेणीवार तैयार किए गए थे और पात्र आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को अनारक्षित श्रेणी में समायोजित नहीं किया गया था, जो आरक्षण के मूल सिद्धांत के विरुद्ध है।
न्यायालय ने आयोग को प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की मेरिट सूची पुनः तैयार करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि आरक्षण के सिद्धांत के अनुसार, आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि आरक्षित वर्ग के उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग की सूची में शामिल किया जाए। संशोधित प्रारंभिक परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद ही आयोग को मुख्य परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी जाएगी।


