23.7 C
Lucknow
Monday, October 6, 2025

कटाव से तबाही की ओर गंगा कटरी: उपजाऊ ज़मीन गंगा में समा रही, किसानों में मायूसी छाई

Must read

शमशाबाद: गंगा नदी (Ganga) का जलस्तर घटते ही शमशाबाद के ढाई घाट क्षेत्र में अब नदी कटाव कहर बरपा रहा है। गांव पहलानी दक्षिण और आसपास के कटरी क्षेत्र के किसान (farmers) उस भयावह त्रासदी से गुजर रहे हैं, जहां उनकी उपजाऊ जमीनें एक-एक कर गंगा की धारा में समा रही हैं। कटाव ने अब पार्को पाइन (सुरक्षा बाँध संरचना) को भी चपेट में लेना शुरू कर दिया है, जिससे हालात और गंभीर हो गए हैं।

ढाई घाट शमशाबाद में करीब डेढ़ महीने तक बाढ़ का तांडव चला, जिसमें कई गांव जलमग्न हो गए। सैकड़ों किसानों की हजारों बीघा फसलें बर्बाद हो गईं, और कई ग्रामीणों को अपना घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। अब जबकि गंगा का जलस्तर धीरे-धीरे घट रहा है, कटाव ने तेज़ी पकड़ ली है। ज़मीनें तेजी से धंस रही हैं और किसानों की आँखों के सामने उनकी जमीन गंगा में समा रही है।

गांव पहलानी दक्षिण में खेतों के किनारे-किनारे कटाव बढ़ता जा रहा है। किसानों का कहना है:

 

“अगर इसी तरह कटाव जारी रहा, तो कुछ ही दिनों में पूरी जमीन गंगा में समा जाएगी। हमारी आजीविका का एकमात्र सहारा खत्म हो जाएगा।”

कटाव को रोकने के लिए पहले से लगाए गए पार्को पाइन (बाढ़ सुरक्षा अवरोध) अब खुद संकट में हैं। ग्रामीणों के अनुसार, कटाव इतना करीब आ गया है कि

अब सुरक्षा व्यवस्था भी टिक नहीं पा रही।

 

“पहले जमीन बचाने के लिए पाइन लगाए गए थे, अब वही पाइन भी गंगा में गिरने की कगार पर हैं।”

बाढ़ पीड़ित आज भी शाहजहांपुर मार्ग और आसपास के क्षेत्रों में झुग्गियों में जीवन यापन कर रहे हैं। सरकारी और समाजसेवी संस्थाओं द्वारा दी गई राहत के बावजूद, लोग अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित और मायूस हैं।

 

“अगर जल सैलाब समय पर पूरी तरह खत्म हो गया, तो शायद हम फिर से खेती कर सकें, लेकिन अभी ऐसा कोई आसार नहीं दिखता।”

कटरी क्षेत्र के ग्रामीणों ने प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि

 

“हर साल बाढ़ और कटाव से हम तबाह हो जाते हैं। अगर समय रहते ठोस इंतजाम न हुए, तो आने वाली पीढ़ियां खेती करना तो दूर, रहने लायक जमीन भी नहीं पाएंगी।”

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article