कानपुर/प्रयागराज: कानपुर के बहुचर्चित आगजनी मामले में फंसे समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी (Former SP MLA Irfan Solanki) को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गुरुवार को उन्हें जमानत मंजूर कर दी। अदालत ने आदेश दिया कि तीन दिन के भीतर जमानत की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इरफान सोलंकी जेल से रिहा हो सकते हैं।
कानपुर में वर्ष 2022 के अंत में एक विवादित आगजनी की घटना हुई थी। आरोप है कि इरफान सोलंकी और उनके सहयोगियों ने एक महिला की जमीन हड़पने के विवाद में घर में आगजनी कराई थी। इस मामले में पुलिस ने गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी और सोलंकी समेत कई आरोपियों को जेल भेजा गया था। यह प्रकरण उस समय राजनीतिक रूप से भी बेहद चर्चित रहा और विपक्ष ने इसे सत्ता के दबाव में कार्रवाई बताया था। हाईकोर्ट में सोलंकी के वकीलों ने दलील दी कि पूर्व विधायक को राजनीतिक द्वेषवश फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि सोलंकी लंबे समय से जेल में हैं और जांच लगभग पूरी हो चुकी है। अब उन्हें जेल में रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।
पुलिस की ओर से यह तर्क दिया गया कि इरफान सोलंकी का नाम प्रत्यक्ष रूप से मामले में आया है और रिहाई के बाद गवाहों को प्रभावित करने की आशंका है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर आरोपी को जेल में रखना उचित नहीं है। कोर्ट ने उन्हें सख्त शर्तों के साथ जमानत प्रदान की है। इरफान सोलंकी तीन दिन के भीतर जमानती बॉन्ड दाखिल करेंगे। वे बिना कोर्ट की अनुमति के विदेश यात्रा नहीं कर सकेंगे। जांच में हर स्तर पर सहयोग करना होगा।
गवाहों और पीड़ित पक्ष को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे। इरफान सोलंकी सपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं और कानपुर की राजनीति में उनका बड़ा जनाधार है। उनकी गिरफ्तारी के बाद से सपा लगातार सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाती रही है। वहीं, भाजपा और अन्य दलों का कहना था कि कानून के दायरे में रहकर ही कार्रवाई हुई है।
उनकी जमानत को समाजवादी पार्टी बड़ी जीत के रूप में देख रही है। कानपुर में उनके समर्थकों ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद जश्न भी मनाना शुरू कर दिया। कानूनी जानकारों का कहना है कि भले ही इरफान सोलंकी को फिलहाल जमानत मिल गई हो, लेकिन आगजनी मामले का मुकदमा अभी जारी रहेगा। आरोप साबित होने पर उन्हें सजा भी हो सकती है। वहीं, जमानत मिलने के बाद कानपुर की स्थानीय राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना जताई जा रही है।


