प्रशांत कटियार
भारत की आबादी में लगभग 60% लोग 35 वर्ष से कम उम्र के युवा हैं। यह युवा शक्ति देश की सबसे बड़ी संपत्ति मानी जाती है, लेकिन यही शक्ति आज बेरोजगारी के संकट में फंसी हुई है। लाखों युवा अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बावजूद रोजगार के अवसर नहीं पा रहे। यह सिर्फ व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिए भी बड़ा खतरा बन चुकी है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 40 लाख युवा बेरोजगार हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शिक्षित युवा अक्सर कौशल और उद्योग की मांग के बीच फंसे रहते हैं। इसका परिणाम है शहरों की ओर पलायन, मानसिक तनाव, आर्थिक असुरक्षा और कभी कभी अवैध मार्ग अपनाने जैसी समस्याएँ।इस संकट के कई कारण हैं। हमारी शिक्षा प्रणाली अक्सर केवल सैद्धांतिक ज्ञान पर जोर देती है, जबकि उद्योग व्यावहारिक और तकनीकी कौशल की मांग करता है। इसके अलावा, छोटे और मध्यम उद्योगों में भी युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार नहीं हैं। सरकारी नीतियाँ मौजूद हैं, लेकिन उनका असरदार और पारदर्शी कार्यान्वयन अक्सर नहीं होता।इस समस्या का समाधान भी संभव है। युवाओं को उद्योग की मांग के अनुरूप कौशल और प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए। स्टार्टअप और युवा उद्यमिता को प्रोत्साहित करके नए रोजगार सृजित किए जा सकते हैं। साथ ही, सरकारी योजनाओं का सटीक और पारदर्शी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना आवश्यक है।युवा ही देश का भविष्य हैं। अगर उनकी ऊर्जा और प्रतिभा को सही दिशा दी जाए, तो बेरोजगारी संकट को अवसर में बदला जा सकता है। इसके लिए सरकार, उद्योग और समाज को मिलकर काम करना होगा। युवा रोजगार से जुड़ेंगे, तो न केवल उनका भविष्य सुरक्षित होगा, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि और सामाजिक स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।






