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Tuesday, September 23, 2025

शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन: मां दुर्गा के चंद्रघंटा के स्वरूप की करें पूजा, देखें पूजन सामग्री और विधि

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नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) की शुरुआत बीते सोमवार 22 सितंबर से हुई और इस पावन पर्व के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) स्वरूप की पूजा का विधान है। इस बार शारदीय नवरात्र 10 दिनों तक चलने वाले हैं। ऐसे में मां चंद्रघंटा की पूजा 24 सितंबर को की जाएगी। मां चंद्रघंटा सिंह की सवारी करती हैं।

दस भुजाओं वाली चंद्रघंटा स्वरूप में देवी एक तरफ कमल और कमंडल तो दूसरी ओर शत्रुओं के नाश के लिए त्रिशूल, गदा और खड्ग जैसे अस्त्र भी धारण करती हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा के समय लाल या फिर पीले रंग के वस्त्र पहन सकते हैं। पूजा में भी माता चंद्रघंटा को लाल रंग के फूल और लाल चुनरी अर्पित करने चाहिए। ऐसा करने से साधक को देवी मां की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।

मां चंद्रघंटा की पूजा में आप उन्हें खीर का भोग लगा सकते हैं। आप खीर में केसर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा भोग के रूप में माता को लौंग, इलायची, पंचमेवा और दूध से बनी मिठाइयां भी अर्पित की जाती है। इससे देवी प्रसन्न होती है और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

मां चंद्रघंटा की पूजन सामग्री

– मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र
– घी, पवित्र जल (गंगाजल), दूध और शहद
– फूल (विशेषकर पीले और चमेली के), सिंदूर और चंदन
– धूप, दीप और घंटा
– मिठाइयां (खीर, दूध से बनी मिठाइयां)
– 5 तरह के फल
– नारियल, पान और पान जैसे प्रसाद

मां चंद्रघंटा की पूजा विधि

1. सुबह जल्दी उठें और स्नान-ध्यान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

2. पूजा की शुरुआत में सबसे पहले देशी घी का दीया जलाएं. उसके बाद फल-फूल, धूप-दीप और भोग आदि अर्पित करें.

3. देवी की पूजा ईशान कोण में स्वच्छ और पवित्र स्थान पर करें.

4. हिंदू मान्यता के अनुसार माता को लाल रंग प्रिय है. ऐसे में शुभता के लिए मां चंद्रघंटा की पूजा में लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें तथा खीर का भोग लगाएं.

5. मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए मां चंद्रघंटा के मंत्र का जाप और दुर्गा सप्तशती या फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें.

6. शाम को भी पूजा करें और मां दुर्गा की आरती का पाठ करें,

मां चंद्रघंटा का मंत्र

मां चंद्रघंटा की पूजा में साधक को रुद्राक्ष की माला से ‘ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः’ या फिर ‘ॐ श्रीं हीं क्लीं चंद्र घंटाये: नम:’ मंत्र का अधिक से अधिक जप करना चाहिए.

 

 

 

 

 

 

 

 

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