लखनऊ: शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) का दूसरा दिन मंगलवार 23 सितंबर को है। यह दिन मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) को समर्पित होता है। मां दुर्गा ने 9 रूपों में दूसरा रूप देवी ब्रह्मचारिणी का है। इस शुभ अवसर पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और साधना की जाएगी। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से ज्ञान, तप और वैराग्य की प्राप्ति होती है। आचरण की देवी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि: नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का विशेष महत्व है। ज्योतिषियों की मानें तो शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन दुर्लभ द्विपुष्कर योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा। पूजा प्रारंभ करने से पहले मां ब्रह्मचारिणी की तस्वीर या प्रतिमा को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
मां की तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं. मां के चरणों में रोली, अक्षत (चावल) और पुष्प अर्पित करें. यह सम्मान और भक्ति का प्रतीक है. मां ब्रह्मचारिणी को फल, भोग और अन्य प्रसाद अर्पित करें। पूजा स्थल पर धूप और दीपक जलाएं। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें। इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा शुभ मुहूर्त
ब्राह्म मुहूर्त: सुबह 04:54 बजे से सुबह 05:41 बजे तक। यह समय दिन की शुरुआत में पूजा करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:08 बजे से दोपहर 12:56 बजे मां की आराधना के लिए बहुत फलदायी माना जाता है।
संध्या मुहूर्त: शाम 06:35 बजे से शाम 07:46 बजे पूजा करने से मां ब्रह्मचारिणी की कृपा अधिक प्राप्त होती है।