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Saturday, November 8, 2025

CMO द्वारा चिकित्सक को जाति सूचक गालियां देने का मामला, मानसिक दबाव के चलते चिकित्सक ने डीएम को सौप त्यागपत्र

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सीएमओ कर रहे झूठे मुकदमे में फंसने की तैयारी -डॉ सनी मिश्रा

फर्रुखाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस के अवसर पर चलाए जा रहे “सेवा पखवाड़ा” कार्यक्रम के दौरान मोहम्मदाबाद (Mohammadabad) में एक बड़ी प्रशासनिक लापरवाही और कथित अभद्रता का मामला सामने आया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मोहम्मदाबाद में तैनात चिकित्सा अधिकारी डॉ. सनी मिश्रा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. अवनींद्र कुमार पर जातिसूचक भाषा और गाली-गलौज का गंभीर आरोप लगाते हुए स्वेच्छा से त्यागपत्र दे दिया है।

डॉ. सनी मिश्रा ने अपना त्यागपत्र जिलाधिकारी को संबोधित करते हुए सौंपा है, जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा किए गए अमर्यादित और अपमानजनक व्यवहार के कारण वे मानसिक तनाव में हैं, और ऐसी स्थिति में वे मरीजों का उपचार करने में असमर्थ हैं। डॉ. मिश्रा का आरोप है कि 17 सितंबर को आयोजित सेवा पखवाड़ा कार्यक्रम के दौरान सीएमओ डॉ. अवनींद्र कुमार ने सार्वजनिक रूप से उनके साथ अभद्र भाषा में बातचीत की, और जातिसूचक गालियां दीं। उन्होंने दावा किया कि इस घटना से वह अत्यंत आहत हुए हैं और इससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हुई है।

डॉ. मिश्रा ने कहा,

 

“मैं एक डॉक्टर के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभा रहा था, लेकिन मुझे अपमानित किया गया। मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है और मैं इस मानसिक तनाव में अब काम नहीं कर सकता।”

डॉ. सनी मिश्रा ने यह भी आरोप लगाया कि सीएमओ द्वारा उनके खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र रचा जा रहा है, और उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने जिला प्रशासन से मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय चिकित्सा जगत और जनप्रतिनिधियों में आक्रोश व्याप्त है। हालांकि अभी तक जिला प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस प्रकरण पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

इस मामले में यदि डॉक्टर मिश्रा के आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह न सिर्फ अनुशासनहीनता का मामला बनता है, बल्कि अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत भी गंभीर अपराध माना जा सकता है। इस घटना ने एक बार फिर से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में काम कर रहे कर्मियों की स्थिति और वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि यदि डॉक्टरों को ही अपमान और जातिवाद का शिकार होना पड़े, तो मरीजों की सेवा कैसे हो पाएगी?

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