अमृतपुर डेढ़ माह से बाढ़ की समस्याओं का सामना कर रहे गंगा पार के ग्रामीणों के लिए एक बार फिर संकट की घंटी बज गई है। गंगा नदी में नरौरा बांध से लगातार छोड़े जा रहे पानी के कारण नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे आसपास के दर्जनों गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि हालात पहले से भी अधिक खतरनाक होते जा रहे हैं और उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह प्रभावित हो रही है।बीते दिनों आई बाढ़ के कारण कुतलूपुर संपर्क मार्ग पूरी तरह कट चुका है। इस मार्ग पर आवागमन पूरी तरह बंद होने के कारण ग्रामीणों को केवल नाव के सहारे ही अपने घरों और आस-पास के क्षेत्रों में जाना पड़ रहा है। खासकर बुजुर्ग और छोटे बच्चों वाले परिवारों के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। चार पहिया और दो पहिया वाहन इस मार्ग से गुजरने में असमर्थ हैं, जिससे ग्रामीणों को अपने दैनिक कार्यों और आवश्यकताओं के लिए काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।समाजसेवियों और प्रशासन ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए नावों की पर्याप्त व्यवस्था की है, लेकिन इसके बावजूद ग्रामीणों की सुरक्षा अभी भी खतरे में बनी हुई है। लोग प्रशासन से इस समस्या का त्वरित समाधान चाहते हैं ताकि बाढ़ की इस दोबारा आने वाली आफत से उनकी जान और संपत्ति सुरक्षित रह सके।
विशेषज्ञों के अनुसार, आज नरौरा बांध से 1,61,454 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे गंगा नदी का जलस्तर 136.75 क्यूसेक से बढ़कर 136.90 क्यूसेक हो गया है। इससे आसपास के दर्जनों गांवों में जलभराव और सड़क मार्गों की बाधा बढ़ने की संभावना है।ग्रामीण प्रशासन और राज्य सरकार से अपील कर रहे हैं कि बाढ़ पीड़ितों के लिए तत्काल राहत और सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया जाए। स्थानीय लोग आशंका जता रहे हैं कि यदि इसी तरह जलस्तर बढ़ता रहा तो उनके घर, खेत और पशु जलमग्न हो सकते हैं।बाढ़ की बढ़ती स्थिति के मद्देनजर प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है और राहत एवं बचाव दलों को हर स्थिति के लिए तैनात किया गया है। ग्रामीणों को चेतावनी दी गई है कि वे नदी के किनारे न जाएं और सुरक्षित स्थानों पर रहकर राहत टीमों के निर्देशों का पालन करें।