बदायूं: उत्तर प्रदेश के बदायूं मेडिकल कॉलेज से एक हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां अस्पताल का ही स्टाफ अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (C.M.S.) के पास पहुंचा, लेकिन समाधान देने की बजाय उन्हें सिर्फ़ ‘पत्र का इंजेक्शन’ थमा दिया गया।
अस्पताल कर्मियों का कहना है कि वे लंबे समय से वेतन विसंगति, संसाधनों की कमी और कार्य परिस्थितियों से जुड़ी दिक्कतों को उठाते आ रहे हैं। लेकिन हर बार कागज़ी आश्वासन और औपचारिक खानापूर्ति के सिवा उन्हें कुछ नहीं मिलता।
लोगों का आरोप है कि यहां न तो मरीजों की समस्याओं का सही समाधान हो रहा है और न ही कर्मचारियों की परेशानी का। दवाओं की कमी, मशीनों की खराबी और स्टाफ की कमी जैसी समस्याएं बदायूं मेडिकल कॉलेज की हकीकत बन चुकी हैं।
समाजवादी पार्टी ने इस पूरे मामले पर राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। पार्टी ने ट्वीट कर लिखा – “मरीजों का दर्द हो या कर्मचारियों की शिकायत, योगी सरकार के स्वास्थ्य मंदिरों में सबका इलाज सिर्फ काग़ज़ी खानापूर्ति से होता है। यही है भाजपा का तथाकथित ‘डबल इंजन हेल्थ मॉडल’, जहाँ अस्पताल की दवा से नहीं, अफसरों की लापरवाही से लोग मरहम ढूंढते हैं।”
आदित्य यादव का बयान
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव ने बदायूं मेडिकल कॉलेज की घटनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:
“यह बेहद शर्मनाक है कि स्वास्थ्य सेवाओं के केंद्र कहे जाने वाले अस्पतालों में खुद कर्मचारी अपनी आवाज उठाने पर मजबूर हैं। सरकार जनता और कर्मचारियों दोनों को सिर्फ़ ‘पत्र’ का इंजेक्शन देकर टाल रही है। जब अस्पताल के कर्मचारी ही असंतुष्ट होंगे तो मरीजों को सही इलाज कैसे मिलेगा? भाजपा का डबल इंजन सिर्फ़ जुमलों और काग़ज़ी काम में चलता है, ज़मीन पर नहीं।”
आदित्य यादव ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी जनता और स्वास्थ्यकर्मियों की आवाज़ लगातार बुलंद करती रहेगी और जब तक उनकी समस्याओं का वास्तविक समाधान नहीं होगा, सपा का संघर्ष जारी रहेगा।