बाढ़ से कटा संपर्क मार्ग, ग्रामीणों ने खुद उठाया मरम्मत का बीड़ा

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फर्रुखाबाद। अमृतपुर तहसील के भुढ़िया भेड़ा गांव में बाढ़ की मार झेल रहे लोगों के सामने अब जीवनरेखा कहे जाने वाले संपर्क मार्ग की समस्या सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़ी हो गई है। गंगा और रामगंगा के प्रकोप ने गांव का अलीगढ़-इमादपुर संपर्क मार्ग पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। लगभग 50 फीट से अधिक दूरी तक यह मार्ग कट गया, जिससे लोगों का आना-जाना पूरी तरह बाधित हो गया। हालात इतने गंभीर थे कि मार्ग पर पानी की गहराई और बहाव इतना ज्यादा था कि नाव चलाना भी नामुमकिन साबित हुआ।ग्रामीणों ने हार नहीं मानी। मजबूरी और जरूरत ने उन्हें मजबूती दी और गांव वालों ने मिलकर यूकेलिप्टस के पेड़ों का सहारा लेकर अस्थाई पुल तैयार किया, ताकि किसी तरह आवागमन जारी रखा जा सके। हालांकि यह अस्थाई पुल जोखिम से भरा था और लोगों को जान हथेली पर रखकर गुजरना पड़ता था। बाढ़ का पानी उतरने के बावजूद तेज बहाव और गहराई बनी रही, जिससे लोगों को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ा।इसी समस्या को दूर करने के लिए ग्रामीणों ने स्वयं एकजुट होकर मार्ग की स्थायी मरम्मत का बीड़ा उठाया। ग्रामीण समरजीत के नेतृत्व में लोग आगे आए और जेसीबी मशीन की मदद से मिट्टी डालकर सड़क को दोबारा दुरुस्त करने का कार्य शुरू कर दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से मदद न मिलने की स्थिति में उन्हें मजबूरन खुद ही रास्ता बनाने का जिम्मा उठाना पड़ा है, क्योंकि यह संपर्क मार्ग सिर्फ एक गांव का नहीं बल्कि पूरे इलाके की जीवनरेखा है।
अलीगढ़ इमादपुर संपर्क मार्ग नगरिया जवाहर, लायलपुर, इमादपुर सोमवंशी, गोटिया, भुढ़िया भेड़ा, बमियारी और अमीराबाद जैसे लगभग एक दर्जन गांवों को आपस में जोड़ता है। खेती-किसानी, शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने के लिए यह मार्ग ग्रामीणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। समय रहते मरम्मत न होने की स्थिति में इन गांवों का बाहरी दुनिया से संपर्क लगभग खत्म हो सकता था।
गौरतलब है कि अमृतपुर तहसील क्षेत्र में बीते एक माह से अधिक समय तक गंगा और रामगंगा की बाढ़ का कहर बना रहा। इस दौरान आधा सैकड़ा से अधिक गांव पानी में डूब गए और लोगों को विस्थापन व रोजमर्रा की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बाढ़ ने जहां घरों और खेतों को नुकसान पहुंचाया, वहीं आधा दर्जन से अधिक मुख्य संपर्क मार्ग भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। ऐसे में ग्रामीणों द्वारा सामूहिक प्रयास कर अपने पैरों पर खड़े होने और जीवन को पटरी पर लाने की यह पहल पूरे क्षेत्र के लिए मिसाल बन गई है।

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