मानस से मिलता है चुनौतियों से मुकाबला करने का मंत्र

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फर्रुखाबाद। श्री पांडेश्वर नाथ मंदिर में 37 वे मानस सम्मेलन में विदुषी श्रीमती संध्या दीक्षित दतिया( मध्य प्रदेश) ने जनकपुरी नगर दर्शन में पुष्प वाटिका गौरी पूजन भक्ति मय सीता प्रभु राम (ब्रहम ) लघु भ्रता लक्ष्मण (बैराग्य)गोस्वामी तुलसीदास ने अध्यात्मिक दर्शन की ज्ञान की पराकाष्ठा धनुष यज्ञ राम राजा जनक की चिंता अतीत काल की विषम परिस्थितियों चुनौतियां और उनका समाधान मानस के अंत में मिलता है विषय पर मानस विदुषी ने अपने विचार व्यक्त किया।
झांसी से आई कुमारी आस्था शर्मा मानस के अंत से अपने विचार गुरु विश्वामित की चिंता राक्षसों का आतंक उनसे ऋषियों मुनियों की रक्षा हेतु श्री राम लक्ष्मण को शस्त्र शास्त्र की शिक्षा देनाऔर उनकी मुक्ति का आधार बनाया साथ ही साथ गुरु शिष्य की परंपरा में धर्म की स्थापना अधर्म को नष्ट करने के उपाय में गुरु की महत्व मिलता हैं गुरु मात-पिता की सेवा सम्मान करना गोस्वामी तुलसीदास ने पग पग पर मानस में संदेश दिया।
छत्तीसगढ़ दुर्ग से पंडित पीला राम ने जनकपुरी में राजा जनक योगी है ज्ञानी है कुशल राजा संचालक हैं उनकी चिंता का समाधान मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने किया बे अवधि एवं ब्रज भाषा के शुद्ध शिल्पी है मानस के गूढ रहस्य को उजागर किया झांसी सेआए रामायणी अरुण गोस्वामी ने मानस में श्री राम कथा के चार स्थान अयोध्या काशी प्रयागराज और चित्रकूट जहां प्रभु राम की कथा की पवित्र स्थान है उन्होंने प्रयागराज की महिमा जहां प्रभु राम लक्ष्मण सीता का निवास है इसलिए संपूर्ण तीर्थ का स्थान तीर्थराज कहा गया जहां गंगा जमुना सरस्वती का संगम है ऐसे पवित्र स्थान की महिमा महर्षि भारद्वाज और यज्ञ बल के संवादों से व्याख्या की ।
सम्मेलन संयोजक डॉक्टर रामबाबू पाठक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए मानस में सुमित्रा आध्यात्मिक शक्ति ईश्वर उसके साथ है वहीं दूसरी माता कैकई ज्ञान की प्रतीक है उनके पुत्र लक्ष्मण साधना सेवा के भाव से श्री राम के साथ रहते हुए कर्तव्य पालन सुमित्रा माता के संस्कारों का मनोवैज्ञानिक आध्यात्मिक विचारों से अवगत कराया श्री राम कथा को गीत संगीत आध्यात्मिक के साथ मानस के विचारों को विद्वानों ने अध्यात्मिक नगर बना दिया नगर के गणमान्य व्यक्ति सर्वेश अवस्थी अशोक रस्तोगी आलोक गौड़ सदानंद शुक्ला रवि अवस्थी ये विशेष पाठक हर्षित अपूर्व मयंक वरुण विकास अमर आकाश सुजीत पाठक बंटू ने प्रसाद व्यवस्था संभाली कार्यक्रम का संचालन पंडित रामेंद्र नाथ मिश्रा ने किया।

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