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Tuesday, September 23, 2025

प्रदेश को बाल श्रम मुक्त बनाने को लेकर कार्यशाला का हुआ आयोजन

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बाल श्रमिक बच्चों को मिलेगा योजनाओं का लाभ, तुरंत भरवाए फॉर्म-आयुक्त

गोंडा: प्रदेश को बाल श्रम मुक्त बनाने के संकल्प को साकार करने के उद्देश्य से बाल श्रम (child labor free) उन्मूलन एवं पुनर्वास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर मंगलवार को आयुक्त सभागार में एक दिवसीय मंडलीय कार्यशाला का आयोजन मंडलायुक्त देवी पाटन मंडल (Divisional Commissioner Devi Patan Division) की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम में यूनिसेफ के प्रतिनिधियों, विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई, तथा वक्ताओं ने कहा कि बाल श्रम समाज और राष्ट्र की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है।

शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार है और किसी भी बच्चे को मजदूरी में लगाना कानूनन अपराध है। यह आवश्यक है कि समाज का प्रत्येक वर्ग इस लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाए। केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं होंगे, बल्कि समाज, परिवार और स्वयंसेवी संगठनों की भी सहभागिता जरूरी है। मौके पर कार्यशाला में आए सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को आयुक्त ने निर्देशित किया कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य वर्ष 2027 तक बाल श्रम मुक्त उत्तर प्रदेश का निर्माण करना है।

इस दिशा में सभी सम्बन्धित विभाग आपस में समन्वय स्थापित करें और बाल श्रम रोकथाम एवं पुनर्वास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करें। अभिभावकों से संवाद कर उन्हें समझाया जाए कि बच्चों को मजदूरी में लगाने के बजाय शिक्षा से जोड़ना ही उनके उज्ज्वल भविष्य का मार्ग है। इसके साथ ही निर्माण श्रमिकों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाले अटल आवासीय विद्यालयों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि इससे बाल श्रमिकों के बच्चों को बेहतर अवसर मिलते हैं।

मौके पर विशेषज्ञों का मार्गदर्शन करते हुए वी वी गिरी संस्थान की पूर्व वरिष्ठ फेलो डॉ. हेलेन आर. सेकर ने बाल श्रम से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों जैसे पीतल, ताला, कालीन और कांच उद्योगों में बाल श्रम की स्थिति और उसके कारणों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। डॉ. सेक्टर ने कहा कि बाल श्रम से मुक्त बच्चों को मौलिक मानवाधिकार प्राप्त होते हैं, जो भारतीय संविधान और अंतरराष्ट्रीय संधियों में निहित हैं। उन्होंने बाल श्रम से जुड़ी चुनौतियों, प्रवृत्तियों और संवैधानिक- कानूनी ढांचे पर भी विस्तार से जानकारी दी।

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