लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (yogi government) ने पंचायती राज ग्रामीण विकास और कृषि सहित विभिन्न विभागों के लिए फसल सर्वेक्षणकर्ताओं (crop surveyors) की नियुक्ति की अंतिम तिथि 25 सितंबर तय की है। खबरों के मुताबिक, ये सर्वेक्षणकर्ता पारंपरिक लेखपालों की जगह लेंगे, जिन्हें शुरुआत में उत्तर प्रदेश के सभी राजस्व गाँवों में फसल सर्वेक्षण का काम सौंपा गया था।
उन्होंने कहा, यह परियोजना व्यापक एग्रीस्टैक और डिजिटल कृषि मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य किसानों, उनकी भूमि, फसलों और संबंधित चरों के बारे में डेटा का एक एकीकृत, सत्यापित स्रोत उपलब्ध कराना है। यह डेटा नीति नियोजन, योजना कार्यान्वयन, बीमा और ऋण में सहायक होना चाहिए।
कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने हाल ही में सभी जिलाधिकारियों और पंचायती राज, ग्रामीण विकास एवं कृषि विभागों के प्रमुखों को भेजे एक पत्र में कहा है कि फसल सर्वेक्षण पंचायत सहायक, ग्राम रोजगार सेवक और कृषि विभाग के सहायक तकनीकी प्रबंधकों द्वारा किया जा सकता है। प्रत्येक सर्वेक्षक को 3,000 गाटा तक भूमि का सर्वेक्षण करने का कार्य सौंपा जाना चाहिए।
सूत्रों ने बताया कि इस कदम से ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे विशेषज्ञ ग्रामीण कार्यकर्ताओं के बीच ज़िम्मेदारी बाँट दी गई है। लेखपाल, जिन्हें पहले यह काम सौंपा गया था, राजस्व संग्रह, भूमि विवाद और उत्तराधिकार अभिलेखों के भारी कार्यभार से जूझ रहे हैं। कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फसल सर्वेक्षण में उनकी प्रभावशीलता सीमित है। उन्होंने कहा, पंचायत सहायकों, ग्राम रोज़गार सेवकों और सहायक तकनीकी प्रबंधकों को शामिल करके, राज्य सरकार कई ग्रामीण प्रशासन शाखाओं को एग्रीस्टैक ढाँचे में एकीकृत करने का प्रयास कर रही है। सरकार ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि सटीक फसल आँकड़े केवल राजस्व का मामला नहीं, बल्कि एक बहु-क्षेत्रीय आवश्यकता है।
इस परियोजना का लक्ष्य राज्य के सभी 93,870 गाँवों को कवर करना है। सर्वेक्षण में लगभग 6.6 करोड़ खसरा इकाइयों (भूखंडों) को शामिल किया जाएगा, जिनका भू-संदर्भन और मूल्यांकन किया जाएगा। इससे पहले, 21 जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण पूरा किया जा चुका है। अन्य जिलों में, प्रति ज़िला 10 नमूना गाँवों का सर्वेक्षण किया गया था।