लखनऊ: ईदगाह के इमाम और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPALB) के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली (Maulana Khalid Rashid Farangi Mahali) ने आज सोमवार को वक्फ संशोधन अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने के Supreme Court के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने अपने बयान में कहा, हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। हमें उम्मीद है कि जब अंतिम फैसला आएगा, तो पूरी राहत मिलेगी।
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, हमारी मांग थी कि पूरे कानून पर रोक लगाई जाए, लेकिन अदालत ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया। हालाँकि, अदालत ने कई प्रावधानों पर रोक लगाई है, और हम कुछ प्रावधानों पर रोक का स्वागत करते हैं, जैसे कि जो व्यक्ति वक्फ बनाना चाहता है, उसे कम से कम 5 साल तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होना चाहिए।
मौलाना ने कहा कि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि सीईओ मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए, और किसी संपत्ति को वक्फ बनाने या न बनाने का फैसला करने के लिए जिला कलेक्टर को दी गई सर्वोच्च शक्तियों पर भी रोक लगा दी गई है। धारा 3 और 4 पर रोक एक बहुत ही स्वागत योग्य कदम है, और हमें उम्मीद है कि जब भी अंतिम फैसला आएगा, हमें 100 प्रतिशत राहत मिलेगी।
गौरतलब है कि आज वक्फ कानून पर फैसला सुनाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अंतरिम आदेश देते हुए कहा कि हमने प्रथम दृष्टया प्रत्येक खंड को दी गई चुनौती पर विचार किया और पाया कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं है।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने उस प्रावधान पर रोक लगा दी जिसके तहत केवल पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे व्यक्ति ही वक्फ बना सकते थे। इसके साथ ही, अदालत ने उस प्रावधान पर भी रोक लगा दी जो सरकार द्वारा नामित किसी भी अधिकारी को यह तय करने का अधिकार देता था कि वक्फ संपत्ति वास्तव में सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण है या नहीं।