लखनऊ/फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश सरकार ने हरदोई नगर पालिका परिषद को विकास की कई सौगातें दी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने Hardoi को विद्युत शवदाह (electric cremation) गृह निर्माण के लिए 3 करोड़, कान्हा गौशाला के लिए 1.65 करोड़ और जर्जर नालों के आरसीसी/आरबीबी निर्माण के लिए 1.85 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। कुल मिलाकर हरदोई को लगभग 6.5 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन हुआ है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री और नगर विकास मंत्री का आभार जताते हुए इसे हरदोई के विकास की बड़ी उपलब्धि बताया है।
नगर पालिका परिषद हरदोई के चेयरमैन और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा हर जिले को विकसित करना है। उन्होंने बताया कि विद्युत शवदाह गृह से आम लोगों को सुविधा मिलेगी, वहीं कान्हा गौशाला के लिए मिला बजट आवारा पशुओं की देखभाल और प्रबंधन को आसान बनाएगा। इसके अलावा नालों के आरसीसी और आरबीबी निर्माण से शहर में जलभराव और गंदगी की समस्या से भी निजात मिलेगी।
फर्रुखाबाद की उपेक्षा
लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जब हरदोई को करोड़ों की सौगात दी जा रही है, तो फर्रुखाबाद अब भी खाली हाथ क्यों है? फर्रुखाबाद जिले की जनता बरसों से विद्युत शवदाह गृह की सुविधा की मांग करती आ रही है। गंगा किनारे पांचाल घाट पर विद्युत शवदाह गृह का भवन और फाउंडेशन वर्षों पहले तैयार कर दिया गया था। भवन आज भी खड़ा है, लेकिन विद्युत कनेक्शन न मिलने की वजह से यह शवदाह गृह अब तक चालू नहीं हो पाया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार यदि हरदोई के लिए 3 करोड़ रुपये आवंटित कर सकती है, तो फर्रुखाबाद में पहले से बने शवदाह गृह को संचालित करने के लिए कनेक्शन और आवश्यक संसाधन क्यों उपलब्ध नहीं कराए जा रहे?
फर्रुखाबाद में कई बार सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने आंदोलन कर इस मुद्दे को उठाया। गंगा तट पर लकड़ी से हो रहे अंतिम संस्कार के कारण पर्यावरण पर असर पड़ रहा है। वहीं, इलेक्ट्रिक शवदाह गृह से न केवल पर्यावरण को लाभ होता है बल्कि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी तेज और सरल हो जाती है। इसके बावजूद सरकार की चुप्पी और लापरवाही लोगों के बीच आक्रोश का कारण बनी हुई है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि फर्रुखाबाद के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। एक तरफ हरदोई में नई योजनाओं के लिए करोड़ों का आवंटन किया जा रहा है, दूसरी ओर फर्रुखाबाद में पहले से बने शवदाह गृह को चालू करने के लिए बुनियादी कदम तक नहीं उठाए गए। एक सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है – “यह सरकार की विफलता है कि तैयार शवदाह गृह वर्षों से बंद पड़ा है। अब जबकि हरदोई में नई परियोजना के लिए 3 करोड़ दिए जा सकते हैं, तो फर्रुखाबाद में पहले से बने ढांचे को क्यों नहीं शुरू किया जा रहा?
फर्रुखाबाद की जनता का कहना है कि जिले को उपेक्षित कर हरदोई को प्राथमिकता देना कहीं न कहीं अन्याय है। सरकार को चाहिए कि फर्रुखाबाद में भी हरदोई की तरह समान सुविधाएं उपलब्ध कराए। खासकर पांचाल घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह को जल्द से जल्द शुरू किया जाए, ताकि जिले की जनता को भी राहत मिल सके और गंगा किनारे पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में सकारात्मक कदम उठे।