नई दिल्ली: पड़ोसी देश नेपाल में राजनीतिक हलचल के बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त (appointed interim prime minister) किया गया है। पिछले कुछ दिनों से नेपाल में उपद्रव और अस्थिरता की स्थिति बनी हुई थी। भारत सरकार ने इस घटनाक्रम पर करीबी नजर बनाए रखी है। भारत और Nepal के बीच ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक रिश्ते हैं। दोनों देशों का “रोटी-बेटी का संबंध” दशकों से चला आ रहा है। नेपाल को पेट्रोल और डीजल की पूरी सप्लाई भारत से होती है और दोनों देशों के बीच खुली सीमा के कारण लोग बेरोकटोक एक-दूसरे के इलाकों में आवाजाही कर सकते हैं। अनुमान है कि करीब 35 लाख नेपाली भारत में रहते या काम करते हैं, जबकि 32,000 गोरखा सैनिक भारतीय सेना में विशेष समझौते के तहत तैनात हैं। नेपाल एक हिंदू बहुसंख्यक देश है और यहां बॉर्डर पार के समुदायों से गहरे पारिवारिक संबंध हैं।
भारत और नेपाल के बीच व्यापारिक रिश्ते भी बेहद मजबूत हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने नेपाल को 7.32 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जबकि नेपाल से 1.2 बिलियन डॉलर का आयात हुआ। भारत नेपाल को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दे चुका है और दोनों देशों के बीच अधिकतर सामानों पर टैरिफ नहीं लगता। नेपाल को भारत से पेट्रोलियम उत्पाद, गाड़ियां, मशीनरी, बिजली के उपकरण और खाद्य सामग्री की आपूर्ति होती है, जबकि भारत नेपाल से जूट प्रोडक्ट, वनस्पति तेल, कॉफी, चाय, मसाले, लकड़ी और इस्पात फाइबर जैसे सामान आयात करता है।
भारत की सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन नेपाल को तेल की सप्लाई करती है और वितरण का जिम्मा भी इसी कंपनी के पास है। वहां टैक्स कम होने के कारण नेपाल में तेल की कीमत भारत की तुलना में सस्ती है। इसके अलावा भारत नेपाल को सस्ती बिजली भी उपलब्ध कराता है और रक्सौल से हल्दिया तक एक्सप्रेसवे जैसी परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
भारत की कई बड़ी कंपनियां जैसे आईटीसी, डाबर, यूनिलीवर, ब्रिटानिया, देवयानी इंटरनेशनल और वरुण बेवरेजेज नेपाल में अपने प्रोजेक्ट चला रही हैं, जिससे वहां हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है। यात्रा की बात करें तो 2024 में 3 लाख से ज्यादा भारतीयों ने नेपाल का दौरा किया, जबकि 2 लाख से अधिक नेपाली भारत आए। रोजाना दोनों देशों के बीच 10 फ्लाइट्स का संचालन हो रहा है।
भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद फिलहाल व्यापार को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है। भारत की प्राथमिकता नेपाल के साथ दशकों पुराने रिश्तों को बरकरार रखना और सप्लाई चेन को निर्बाध बनाए रखना है, ताकि दोनों देशों के उपभोक्ताओं और कारोबारियों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।