लखनऊ। राजधानी लखनऊ में वीआईपी कल्चर के खिलाफ कई दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। ताज़ा मामला उस समय सुर्खियों में आया जब शहर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) साहब की लग्ज़री गाड़ी पर नीली बत्ती के साथ उनके पालतू कुत्ते अगली सीट पर आराम फरमाते देखे गए।
यह नज़ारा देखकर लोगों में नाराज़गी और हैरानी दोनों देखने को मिली। आम जनता का कहना है कि जब सरकार और अफसरशाही खुद दावा करते हैं कि “वीआईपी कल्चर खत्म हो गया है”, तो फिर अधिकारियों के पालतू जानवरों तक को इस रौब-दाब वाली सुविधा क्यों दी जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी गाड़ी और नीली बत्ती जैसी सुविधाएँ जनता की सेवा और आपात कार्यों के लिए हैं, न कि किसी के निजी शौक या पालतू जानवरों की ऐशो-आराम की सवारी के लिए। एक राहगीर ने तंज कसते हुए कहा – “यहाँ तो इंसानों को घंटों एंबुलेंस का इंतज़ार करना पड़ता है, लेकिन अफसरों के कुत्ते नीली बत्ती वाली गाड़ी में शाही सवारी कर रहे हैं। यही है नया वीआईपी कल्चर।”
मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। कई लोगों ने तस्वीरें और वीडियो साझा कर सरकार और प्रशासन से सवाल पूछा कि आखिर ऐसी लापरवाही और दिखावा कब तक जारी रहेगा।
फिलहाल प्रशासन की ओर से इस पूरे मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन यह घटना एक बार फिर साफ़ कर गई है कि “वीआईपी कल्चर खत्म होने” की बात सिर्फ़ कागज़ों और भाषणों में ही नजर आती है, हकीकत इससे बिल्कुल उलट है।






