नई दिल्ली। देश की राजनीति में दलित वोट बैंक को लेकर हलचल तेज हो गई है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को लेकर अब केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने बड़ा बयान दिया है। अठावले ने कहा कि “दलित राजनीति के लिए मायावती जी को आगे आना होगा, तभी दलित समाज का सही मायनों में उत्थान हो सकेगा।”
रामदास अठावले के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। अब तक मायावती की प्रशंसा प्रदेश स्तर के नेता या भाजपा के स्थानीय नेताओं द्वारा ही देखने को मिलती थी, लेकिन अब केंद्र सरकार के मंत्री ने खुलकर उनकी तारीफ की है। इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति में दलित समीकरण को लेकर कुछ बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
अठावले ने मायावती की राजनीतिक ताकत और उनके जनाधार का उल्लेख करते हुए कहा कि दलित समाज और पिछड़ा वर्ग आज भी उन्हें पसंद करता आया है और उनकी राजनीति पर भरोसा करता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर मायावती आगे बढ़कर सक्रिय भूमिका निभाएं तो देश की राजनीति में दलितों के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बयान के पीछे आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों की रणनीति छिपी हो सकती है। चूंकि दलित वोट बैंक हमेशा से ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता रहा है, ऐसे में मायावती की सक्रियता और उनके प्रति केंद्र सरकार के मंत्री की सकारात्मक टिप्पणी कई नए समीकरणों को जन्म दे सकती है।
रामदास अठावले रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के अध्यक्ष हैं और लंबे समय से दलित राजनीति से जुड़े हुए हैं। उनका यह बयान न केवल भाजपा और बसपा के बीच संभावित समीकरणों की ओर इशारा करता है, बल्कि विपक्षी खेमे में भी चिंता का विषय बन गया है।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में यदि मायावती सक्रिय हुईं और दलित समाज को एकजुट करने में कामयाब रहीं तो दलित वोट बैंक पर कब्जे की जंग और भी रोचक हो जाएगी।