29 C
Lucknow
Saturday, September 13, 2025

बाढ़ पीड़ितों का दर्द, हमें पेट के लिए रोटी चाहिए विधायक जी

Must read

हमें रोटी चाहिए, दवा चाहिए, जीने का सहारा चाहिए, अखबार की सुर्खियां नहीं,

अमृतपुर फर्रुखाबाद: सैलाबी भूचाल ने अमृतपुर तहसील (Amritpur Tehsil) क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया है। यहां के 1000 से अधिक परिवार अब मोहताजी के रास्ते पर जीवन बिता रहे हैं। 1 महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी गंगा एवं रामगंगा नदियों में सैलाब (flood) की स्थिति रौद्र रूप में बनी हुई है। गंगा के मुहाने अधिक ऊंचे होने के कारण निचले इलाकों में पानी की स्थिति बहुत ही खराब चल रही है। गांवो में गलियों में घरों में पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। अब कहीं भी उठने बैठने के लिये सूखा स्थान नहीं बचा हैं।

ऐसी स्थिति में परिवार का भरण पोषण और जानवरों की सुरक्षा के लिए बाढ़ क्षेत्र के ग्रामीण ऊंचे स्थानों की तरफ और अपने रिश्तेदारियों में चले गए। कई गरीब परिवार ऐसे हैं जिन्होंने सड़क पर पॉलिथीन तानकर डेरा जमा रखा है। यहीं पर उनके बच्चे इनके जानवर बूढ़े माता-पिता और घर के बीमार सदस्य जिंदगी बसर करने में लगे हुए हैं। घर में खाने को है या नहीं बच्चों की भूख यह नहीं जानती उन्हें तो सिर्फ पेट भर खाना चाहिए। जब भी कोई गाड़ी इनके तंबू की तरफ आती है तो अंदर बैठे बच्चे इस आस में बाहर आकर खड़े हो जाते हैं कि शायद उनके लिए कोई कुछ खाने को लेकर आया है।

इनकी मासूम लाचार और बेबस निगाहें हर आने जाने वाले की तरफ टिकी रहती हैं। घर में ना तो पैसे हैं ना आय के साधन और न हीं कहीं से कोई सहारा ही मिल रहा है। खेतों में जो फसले थी वह बाढ़ की भेंट चढ़ गई और अब बहुत से किसान कर्जदार हो गए। पशुपालक कुछ अधिक ही परेशान है। क्योंकि इनके पास पशुओं के खिलाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। भूसे के ढेर जो खेतों में लगे हुए थे अब वह सैलाब के पानी में डूब कर बर्बाद हो चुके हैं। घरों में रखा हुआ भूसा इनके जानवर पहले ही खा चुके हैं।

आने जाने के मार्गों पर बेतहाशा तेजधार वाला पानी चल रहा है। कई सड़के इतनी अधिक क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं कि अब वहां से कोई भी वाहन नहीं निकल पा रहा है। कुछ समाजसेवियों ने इन बाढ़ पीड़ितों के दर्द को समझा और जो भी वह कर सकते थे उन्होंने किया। फिर वह चाहे भोजन हो कपड़े हो दवाइयां हो अथवा अन्य सहायता वह इन तक पहुंचाते रहे। प्रशासन के द्वारा भी सरकारी सहायता बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचाई गई लेकिन वह नाकाफी साबित हुई। बीते दिवस अमृतपुर विधायक द्वारा बाढ़ क्षेत्र में स्टीमर से घूमने की तस्वीर और उनके द्वारा की गई मदद अखबारों की सुर्खियां बनी तो कुछ बाढ़ पीड़ितों का दर्द भी सामने आ गया और उन्होंने सोशल मीडिया के सहारे अपने इस दुख और दर्द को जनता तक पहुंचाने का प्रयास किया।

सोशल मीडिया में लिखा गया कि माननीय विधायक जी, मुसीबत अभी खत नहीं हुई, गांव वाले आज भी ऊंचे टीलों और मकान की छतों पर शरण लेकर जैसे तैसे जिंदगी काट रहे हैं। घर उजड़ गए, अन्न भंडार खाली हो गए, बच्चे भूखे सो रहे हैं और लोग जानवरों तक के लिए चारा जुटाने को तरस रहे हैं। लेकिन अफसोस, इन असली तकलीफों में आप कहीं नजर नहीं आते, आप बस तब आते हैं जब कैमरा हो, फोटो खिंचवानी हो और अखबार में खबर छपवानी हो। आज आप आए, स्टीमर पर बैठे, फोटो खिंचवाई और फिर चले गए।

कल यही तस्वीर छपेगी और आपकी वाह वाही होगी। मगर हमारे खाली बर्तन,अंधेरे घर और टीलों पर डेरा जमाये परिवार वैसे ही रह जाएंगे। जनता को आपके फोटो शूट से नहीं बल्कि समय पर की गई सच्ची मदद से राहत चाहिए थी। हमें रोटी चाहिए, दवा चाहिए, जीने का सहारा चाहिए, अखबार की तस्वीरे नहीं। यह दर्द सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं बल्कि विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ के पानी में डूबे उन गांवो के प्रत्येक परिवार का है जो इस समय जनप्रतिनिधियों की बेरुखी से स्वयं को लाचार और बेबस समझ रहे हैं।

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article