फर्रुखाबाद। पिछले एक माह से जारी बाढ़ के संकट के बीच अब गंगा और रामगंगा नदियों का जलस्तर घटने लगा है, जिससे प्रशासन और स्थानीय लोगों ने कुछ राहत की सांस ली है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान के बराबर दर्ज किया गया है जबकि रामगंगा का जलस्तर खतरे के निशान से लगभग 55 सेंटीमीटर नीचे पहुंच गया है। जलस्तर में आई इस गिरावट ने तटीय गांवों के निवासियों को बाढ़ के लगातार बढ़ते खतरे से अस्थायी राहत दी है, हालांकि खतरों का पूरी तरह अंत अभी नहीं हुआ है। बीते कुछ दिनों में गंगा का जलस्तर 15 से 35 सेंटीमीटर तक ऊपर दर्ज किया गया था और इससे कई गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए थे, लेकिन पिछले 24 घंटों में पानी का स्तर धीरे-धीरे कम होना शुरू हुआ है। रामगंगा के किनारे बसे गांवों में भी पानी घटने से दबाव कम हुआ है और लोग अब अपनी दैनिक जीवनचर्या को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।फिर भी जिले के कई तटीय गांवों में पानी अभी भी भरा हुआ है। इन इलाकों में सड़क मार्ग डूब जाने से ग्रामीणों को आवागमन के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है। गंगा-रामगंगा के किनारे बसे गांवों में दर्जनों बीघा फसलें डूबकर पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पानी जल्द नहीं घटा तो उनकी अगली बुवाई भी प्रभावित होगी। बाढ़ की मार झेल रहे गांवों में स्कूल और सरकारी कार्यालय भी प्रभावित हुए हैं, जिससे शिक्षा और प्रशासनिक कार्यों पर असर पड़ा है।जिलाधिकारी के निर्देश पर राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाई गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन की ओर से नावें, बचाव दल और स्वास्थ्य टीमें लगातार तैनात की गई हैं। राहत शिविरों में पीड़ितों को राशन, पीने का पानी और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ग्रस्त इलाकों में संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए दवा छिड़काव की कार्रवाई भी शुरू कर दी है। प्रशासन ने जनता को सतर्क करते हुए यह अपील की है कि वे नदी किनारे अनावश्यक रूप से न जाएं और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कंट्रोल रूम को सूचना दें।सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऊपरी बांधों से छोड़े गए पानी और मानसूनी वर्षा पर ही आने वाले दिनों में नदियों का जलस्तर निर्भर करेगा। फिलहाल गंगा और रामगंगा दोनों नदियों में घटते पानी ने लोगों को राहत दी है, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है। प्रशासन अब भी अलर्ट मोड पर है और हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। कुल मिलाकर, जनपद फर्रुखाबाद में गंगा और रामगंगा का पानी घटने से लोग राहत महसूस कर रहे हैं, मगर बाढ़ का संकट अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और तटीय गांवों के लोगों को प्रशासनिक मदद का इंतजार है।