लखनऊ। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) यूपी-112, नीरा रावत ने आत्महत्या जैसी गंभीर घटनाओं में तत्परता दिखाकर अनगिनत लोगों की जान बचाने वाले पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया।
कार्यक्रम के दौरान 225 पीआरवी (पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकल) कर्मियों को उनकी त्वरित कार्रवाई और मानवीय संवेदनशीलता के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके साथ ही कॉल पर आत्महत्या का प्रयास कर रहे लोगों को समझाकर उनकी जान बचाने वाली 3 कॉल टेकर संवाद अधिकारियों को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
डीजीपी नीरा रावत ने कहा कि,
“यूपी-112 सिर्फ कानून व्यवस्था संभालने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह आमजन की जिंदगी बचाने का भी बड़ा सहारा बन चुका है। हमारे कर्मियों ने संवेदनशील मामलों में जिस धैर्य और तत्परता का परिचय दिया है, वह गर्व का विषय है।”
यूपी-112 परियोजना की शुरुआत से अब तक 41,580 से अधिक आत्महत्या संबंधी सूचनाओं पर पुलिसकर्मी मौके पर समय रहते पहुंचे और लोगों की जान बचाई। इनमें ऐसे कई मामले शामिल हैं जहां लोग फांसी लगाने, नदी या कुएं में कूदने, रेल की पटरियों पर बैठने या ऊंची इमारत से छलांग लगाने की कोशिश कर रहे थे। पुलिसकर्मियों ने सूझबूझ दिखाकर न केवल उन्हें आत्महत्या से रोका बल्कि सुरक्षित रूप से परिजनों के सुपुर्द भी किया
सिर्फ इस साल 1 जनवरी से 31 अगस्त 2025 तक, यूपी-112 ने 4,895 आत्महत्या प्रयासों पर तत्काल प्रतिक्रिया दी और हजारों लोगों का जीवन बचाया। इन्हीं संवेदनशील मामलों में साहस और मानवीय दृष्टिकोण से सक्रिय भूमिका निभाने वाले कर्मियों को इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्महत्या जैसे संवेदनशील मामलों में हर मिनट बेहद अहम होता है। पीआरवी कर्मियों की त्वरित मौजूदगी और कॉल टेकर अधिकारियों की संवाद कुशलता ने कई परिवारों को अपूरणीय क्षति से बचा लिया।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम इस बात का प्रतीक बन गया कि यूपी पुलिस केवल अपराध से लड़ने वाली फोर्स नहीं है, बल्कि मानवीय मूल्यों और समाज की सुरक्षा के लिए समर्पित संस्था भी है।