लखनऊ| उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में भूचाल लाने वाली ख़बर सामने आई है। लोकायुक्त कार्यालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ में चार आईएएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है। लेकिन खास बात यह है कि प्रेस नोट में इन अधिकारियों के नामों का खुलासा नहीं किया गया है। यही वजह है कि अफसरशाही और राजनीतिक गलियारों में इस समय सिर्फ एक सवाल गूंज रहा है – आखिर वे 4 IAS कौन हैं?
लोकायुक्त की जांच में इन आईएएस अधिकारियों पर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर आरोप पाए गए हैं। रिपोर्ट में सरकार से इनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है। हालांकि प्रेस रिलीज़ में अधिकारियों के नाम गोपनीय रखे गए हैं। सूत्रों का कहना है कि लोकायुक्त ने विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपी है और अब गेंद शासन के पाले में है।
नाम सामने न आने से अटकलों का बाज़ार गर्म है। सोशल मीडिया पर लोग लगातार यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर कौन से चार आईएएस अफसर कार्रवाई की जद में आए हैं। अफसरशाही में भी हलचल और बेचैनी है, क्योंकि हर कोई यह जानना चाहता है कि भ्रष्टाचार के घेरे में कौन-कौन आया है।
जानकारों का कहना है कि लोकायुक्त की यह रिपोर्ट राज्य सरकार के लिए एक बड़ी कसौटी साबित होगी। यदि सख्त कार्रवाई होती है तो यह संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचार पर सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की है। वहीं कार्रवाई में देरी या ढिलाई पर विपक्ष सरकार को घेरने का मौका पा सकता है।
हालांकि विपक्ष ने लोकायुक्त की इस रिपोर्ट को लेकर सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि भ्रष्टाचार की जड़ें अफसरशाही में गहरी हैं और सरकार सिर्फ दिखावटी कदम उठा रही है। उनका सवाल है कि – “अगर लोकायुक्त ने सिफारिश की है तो नाम छिपाने की क्या मजबूरी है?”
लोकायुक्त द्वारा की गई सिफारिश पर अब सरकार को निर्णय लेना है। माना जा रहा है कि शासन स्तर पर जल्द ही नामों का खुलासा किया जा सकता है और संबंधित अफसरों पर अनुशासनात्मक या कानूनी कार्रवाई भी शुरू हो सकती है।