शमसाबाद: गंगा (Ganga) की तेज धार ने एक बार फिर से ग्रामीणों (villagers) के जीवन को संकट में डाल दिया है। नदी के किनारे बसे गांव समेंचीपुर में गंगा का कटान शुरू होते ही ग्रामीणों के पक्के मकान और झोपड़ियां नदी की लहरों में समाने लगी हैं। बीते 24 घंटे में गांव के निवासी छंगे का पक्का मकान पूरी तरह गंगा की धारा में समा गया, वहीं गरीब किसान जारिफ की झोपड़ी भी नदी में बह गई। इस घटना के बाद गांव में अफरा-तफरी और भय का माहौल है।ग्रामीणों का कहना है कि गंगा की धार तेजी से किनारे को काट रही है, जिससे कई मकान खतरे में आ गए हैं।
कटान की चपेट में आने से पहले लोग मजबूरी में अपने-अपने मकान तोड़ रहे हैं और सुरक्षित स्थानों पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। ग्राम प्रधान ताराबानो के पुत्र शिजबान ने जानकारी दी कि अब तक दो ग्रामीणों के मकान और झोपड़ी नदी में समा चुके हैं, जबकि इरशाद, सुनील और मतलूब के मकान गंगा की धार से केवल कुछ ही दूरी पर रह गए हैं।वहीं, गांव के सानू मियां की खेती की जमीन भी लगातार गंगा की तेज धार में कटती जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि अगर कटान इसी तरह जारी रहा तो आने वाले दिनों में दर्जनों मकान और सैकड़ों बीघा जमीन नदी में समा सकती है।
इससे गांव के लोगों के सामने न केवल बेघर होने का संकट खड़ा हो जाएगा, बल्कि उनकी रोज़ी-रोटी का साधन भी खत्म हो जाएगा।ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि शीघ्र ही बचाव कार्य शुरू कराया जाए और कटान रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। फिलहाल, गंगा के कटान ने गांव वालों के दिलों में गहरी दहशत बैठा दी है और लोग दिन-रात अपने घरों और जमीन को बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।


