काठमांडू: Nepal की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Prime Minister KP Sharma Oli) ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। लंबे समय से चल रहे राजनीतिक विवादों, पार्टी के अंदर विद्रोह और संसद में लगातार बढ़ते दबाव के बाद अंततः ओली को पद छोड़ना पड़ा। सूत्रों के अनुसार, सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर गुटबाज़ी और उनके खिलाफ उठ रही तीखी आवाज़ों ने स्थिति को गंभीर बना दिया था।
हाल ही में संसद के भीतर विपक्षी दलों ने उनके नेतृत्व पर सवाल उठाए और कई सांसदों ने खुलेआम बग़ावत कर दी थी। इसके चलते सरकार अल्पमत में आ गई और इस्तीफ़ा अवश्यंभावी हो गया। इस्तीफ़ा देने से पहले ओली ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा देशहित और स्थिरता के लिए काम किया, लेकिन हालात ऐसे बन गए कि उन्हें पद छोड़ना पड़ा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके विरोधियों ने जनता के हितों से ज़्यादा व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को तरजीह दी।
ओली के इस्तीफ़े के बाद नेपाल में नई सरकार के गठन की कवायद शुरू हो गई है। राष्ट्रपति शीघ्र ही संसद में बहुमत साबित करने वाले दल या गठबंधन को सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं। माना जा रहा है कि विपक्षी दलों के गठबंधन को सत्ता संभालने का मौका मिल सकता है।
गौरतलब है कि केपी शर्मा ओली नेपाल की राजनीति में एक सशक्त नेता माने जाते रहे हैं। वे कई बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनके कार्यकाल में विवाद, संवैधानिक संकट और पार्टी के भीतर मतभेद अक्सर सुर्खियों में रहे। नेपाल में अचानक आई इस राजनीतिक हलचल से पड़ोसी देशों, विशेषकर भारत और चीन, की नज़र भी बनी हुई है, क्योंकि दोनों देश नेपाल की राजनीति में अहम कूटनीतिक भूमिका निभाते रहे हैं।


